
हिमाचल प्रदेश में डीए और छठे वेतनमान का संशोधित एरियर न मिलने से कर्मचारियों में रोष पनपा है। बुधवार को हिमाचल प्रदेश सचिवालय सेवा परिसंघ ने सचिवालय के आर्म्सडेल भवन के प्रांगण में हल्ला बोला। हिमाचल प्रदेश सचिवालय सेवा परिसंघ के चेयरमैन संजीव शर्मा ने कहा कि सचिवालय में करीब 750 पद खाली पड़े हैं और पे-फिक्सेशन नहीं हो रही है। कॉन्ट्रेक्ट पीरियड की रिवाइज्ड सिनीयोरिटी लिस्ट नहीं निकल रही है। डीए-एरियर और पे स्केल एरियर सबसे बड़ा मुद्दा है और पे-एरियर के नाम पर पूर्व सरकार के समय केवल 50 हजार रुपये मिले थे।
हिमाचल प्रदेश सचिवालय सेवा परिसंघ के चेयरमैन संजीव शर्मा ने कहा कि जो भी कर्मचारी अभी तक कर्मचारी को एरियर बिल्कुल नहीं मिला है सिर्फ 50 हजार रुपए मिला है। हर कर्मचारी को एरियर जो की पिछली सरकार में पूर्व मुख्यमंत्री माननीय जयराम ने दिया था। मैं आपको बता देना चाहता हूं कि पहले जो पीरियड है एक मुश्त दिया जाता था। मुझे याद है 1986 का जब पे स्केल मिला था उसका जब एरियर मिला था लोगों को वो दो दो, तीन 3 लाख मिला था। उस वक्त क्या लोग करते थे इंतजार करते थे कि जब एरियर मिलेगा तो लोगों ने पहले ही प्लानिंग बना रखी होती थी। इस बार के एरियर से हम प्लॉट लेंगे। कोई सोचता था कि हम मकान बनाएंगे, कोई अपनी बेटी की शादी करेंगे करेंगे। कोई सोचता था हम बेटे की शादी करेंगे।
संजीव शर्मा ने कहा कि इस एरियर का इंतजार रहता था, लेकिन और आपको ये भी बता दें शिमला में 10 हजार से 15000 कर्मचारी हैं जिनके यहां अपने मकान हैं जो पूरे प्रदेश के लोग यहां पर रहते हैं। ये प्लॉट उन्होंने तब लिए थे जब 1986 में सर्वप्रथम पे स्केल एरियर मिला था। उसके बाद 1996 में एरियर किस्तों में दिया। तब भी कर्मचारियों ने कुछ नहीं दिया। 2006 में भी एरियर मिला वो भी किस्तों में मिला, लेकिन 2016 का एरियर मिला ही नहीं। सिर्फ 50 हजार रुपये मिले हैं।
संजीव शर्मा ने कहा कि माननीय मुख्यमंत्री ने एक बार फरमान जारी किए थे कि जो एरियर है इसको जीरो पॉइंट जीरो टू फाइव के हिसाब से दिया था। यानी कि जो एरियर है ये हमें 32 साल में मिलना था तो मैं माननीय मुख्यमंत्री महोदय से मिला। मैंने कहा साहब ये जो एरियर है ना ये हमारे को 32 साल में मिलेगा। 32 साल में कौन रहेगा। इसको तो मैं कहा आपने हमारे को नहीं दिया इस को तो लगता है आपने मेरे पोते के दोतों को दिया है। इसी तरह उन्होंने एक एरियर भी दिया था। जो डीए हमारा ड्यू था वो था 1-07 -2022 से तो वो एरियर भी हमारे को पांच साल में मिलना था। मगर वो एरियर हमारे को पांच साल में मिलेगा। पांच साल में तो 10 किस्तें ड्यू हो जाएंगी तो जब उनको लगा कि नहीं गलत हो गया है तो उन्होंने उसी टाइम आदेश जारी किए कि इसको विदड्रॉ किया जाए।
उसके बाद अभी कुछ पैसे मिले हैं। इन्होंने जो रिटायरी थे उनको तो 15% से 25 के हिसाब से एरियर दे दिया, लेकिन हमारे को फिर नहीं दिया एरियर। फिर से कोई भी कोई भी चीज हमारे को नहीं दी। और अभी 15 अगस्त को हमारे को उम्मीद थी हम माननीय मुख्यमंत्री से मिले या तो आप एरियर दे देना या फिर डीए देखिए किस्त दे देना। वो भी आपने देखा कि वो जो एरियर दिया वो किसको दिया जो 75 साल से ऊपर हैं अरे भाई जो एरियर है वो सबसे ज्यादा जो 2016 से 2022 के बीच रिटायर हुए हैं वो तो उनका है।
संजीव शर्मा ने कहा कि न एरियर मिल रहा है न डीए मिल रहा है न पे एरियर मिल रहा है तो लोगों में बहुत निराशा थी। इसीलिए जब हमने मीटिंग की तो हमने डिसाइड किया कि हम जनरल हाउस करेंगे। जब जनरल हाउस का हमने ऐलान किया तो आप विश्वास नहीं करेंगे रविवार को मेरे को पूरे प्रदेश के कर्मचारियों के लोगों के फोन आए। कहने लगे जी आपने हमारी आवाज उठाई है। कोई तो है प्रदेश में जो कर्मचारियों की आवाज उठा रहा है, क्योंकि जो कर्मचारी, जो एनजीओ हैं वो दो गुटों में बंटा है। कोई गुट कोई प्रदीप गुट है। आपने देखा कभी इन्होंने आवाज उठाई। मतलब ये चाहते हैं की अगर कोई सरकार के खिलाफ बोलेगा या डीए मांगेगा तो हो सकता है मेरे को मान्यता ना मिले।
संजीव शर्मा ने कहा कि आज पूरे प्रदेश का 7 लाख जो कर्मचारी है मेरा वो आंखें लगाए बैठा था, आस लगाए बैठा था, लेकिन उनके पास कोई नेतृत्व नहीं मिल रहा था और मैं आपको माध्यम से बता देना चाहता हूं कि ये जो हमारा काम ये जो है ये एरियर या एरियर का नहीं होता है, क्योंकि हमारे पास अपने यहां पे डिमांड होती हैं, लेकिन पहली बार हुआ है किं आज सचिवालय को ये मांगे उठानी पड़ रही हैं। मैं आपको एक और चीज बता देना चाहता हूं। जब कभी पहले स्ट्राइक होती थी मैं उस में भी रहा हूं तो पहले डिपार्टमेंट वाले बाहर निकलते थे। जैसे हॉर्टिकल्चर डिपार्टमेंट निकल गया है, एनिमल निकल गया, एग्रीकल्चर निकल गया उसके बाद जो है इलेक्ट्रिसिटी निकलता था। फिर आईजीएमसी निकलता था और तब भी कोई बात नहीं बने फिर लास्ट में जाके सचिवालय प्रशासन और सचिवालय से बाहर निकलती थी। जब सचिवालय वाले बाहर निकलते थे तो कोई भी सरकार जो है ना फिर जो है ना उसको झुकना ही पड़ता था, लेकिन आज परिस्थिति देखो बाहर का कोई कर्मचारी आवाज तक नहीं उठा रहा है।