हिमाचल प्रदेश सरकार ने हिमाचल में माइनिंग प्रभावित एरिया के दायरें को बढ़ाने की मंजूरी दी है। अब हिमाचल में जिस क्षेत्र में माइनिंग होगी वहां से 15 किलोमीटर तक के एरिया को प्रभावित माना जाएगा। पहले यह एरिया पांच किलोमीटर था। इन क्षेत्रों में सरकार डीएमएफ फंड से लोगों को पीने के पानी, सिंचाई योजना और अन्य विकास कार्यों में खर्च करेगी। 70 फीसदी बजट इन क्षेत्र में खर्च होगा। इससे हजारों लोग लाभान्वित होंगे। प्रदेश सरकार ने हर जिले में डीएमएफ कमेटी गठित की है। उपायुक्त इसका अध्यक्ष है जबकि प्रभावित क्षेत्रों के विधायक इसके सदस्य हैं। केंद्र सरकार की ओर से हर साल इसमें 150 करोड़ रुपये जारी किए जाते हैं। प्रदेश सरकार ने हिमाचल प्रदेश जिला खनिज फाउंडेशन (डीएमएफ) ट्रस्ट नियम-2016 में संशोधन करने का निर्णय लिया। संशोधन में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित क्षेत्रों का स्पष्ट समीकरण शामिल है। उल्लेखनीय है कि हिमाचल के सिरमौर, ऊना, हमीरपुर, बिलासपुर कांगड़ा ऐसे क्षेत्र है, जहां माइनिंग होती है।
ऑनलाइन प्रकाशन टेंडर की समय अवधि घटाई
प्रदेश सरकार ने आन लाइन टेंडर की समय अवधि को घटाया है। मंत्रिमंडल ने लोक निर्माण विभाग में निविदा सूचना के ऑनलाइन प्रकाशन के समय को 10 दिन से घटाकर सात दिन, सहायक अभियंता और अधिशासी अभियंता द्वारा जारी किए जाने वाले स्वीकृति पत्र का समय 20 दिन से घटाकर 12 दिन, अधीक्षण अभियंता द्वारा जारी किए जाने वाले स्वीकृति पत्र को 27 दिन से घटाकर 17 दिन तथा मुख्य अभियंता की ओर से जारी किए जाने वाले स्वीकृति पत्र के समय को 30 दिन से घटाकर 22 करने का निर्णय लिया है। प्रदेश सरकार का मानना है कि इससे विकास कार्यों में तेजी आएगी।
सूखे पेड़ हटेंगे, डीएफओ को प्रबंधन की शक्तियां दीं
हिमाचल प्रदेश मंत्रिमंडल ने राज्य में सूखे और क्षतिग्रस्त पेड़ों के निस्तारण के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) लागू करने को मंजूरी दी। इस निर्णय का उद्देश्य सड़कों के किनारे गिरे हुए या क्षतिग्रस्त पेड़ों को तुरंत हटाना और उनका प्रबंधन सुनिश्चित करना है। राज्य मंत्रिमंडल ने प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने, लागत को कम करने, स्कूल, अस्पताल, सड़क आदि जैसी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को समय पर पूरा करने के लिए डीएफओ को 50 पेड़ों तक के लॉट्स का प्रबंधन करने की शक्तियां प्रदान करने का निर्णय लिया।