
धर्मशाला के तपोवन में हिमाचल प्रदेश विधानसभा का चार दिन का शीत सत्र खूब गरमाहट भरा रहा। सदन के अंदर और बाहर भाजपा व सत्तारूढ़ कांग्रेस आक्रामक रुख में रहे। विपक्ष के तीरों की सीएम ने काट निकाली और अपने मंत्रियों की ढाल भी बने। भाजपा पर हमला करने से भी नहीं चूके। विपक्ष ने शीत सत्र शुरू होने से हफ्ते भर पहले से यह मुद्दा बनाना शुरू कर दिया कि मुख्यमंत्री दो दिन जैसलमेर में वित्त मंत्रियों और जीएसटी काउंसिल की बैठक में जाएंगे तो सत्र की बैठकें बढ़नी चाहिए। पर न तो सीएम जैसलमेर गए और न सदन से गैरहाजिर रहे। न ही विपक्ष ने सदन के भीतर बैठकें बढ़ाने का दबाव बनाया।
अंतिम दिन विपक्ष नाराज होकर समापन से पहले ही बाहर चला गया। इसे भी सत्तारूढ़ दल ने आखिर तक रहने की परंपरा तोड़ने का निंदा प्रस्ताव पारित किया। 18 दिसंबर को पहले दिन ही सर्वदलीय बैठक में शामिल न होकर विपक्ष ने आक्रामक रणनीति के पत्ते खोल दिए। इससे सत्तापक्ष की विपक्ष के अगले रुख पर पैनी नजर रही। शुरू में ही भाजपा ने सदन के अंदर-बाहर सरकार को घेरने की रणनीति तो बनाई, मगर भ्रष्टाचार पर विपक्ष के स्थगन प्रस्ताव को मंजूर कर मुख्यमंत्री ने इस चक्रव्यूह को भेदा और विपक्ष को उल्टा अंदर व बाहर उलझाए रखा। सरकार ने भोटा स्थित राधास्वामी सत्संग कर जमीन हस्तांतरण विधेयक पारित करवा दिया।
लैंड सीलिंग एक्ट को छेड़ने के खतरों की बात विपक्ष दबी जुबान में जरूर करता रहा, मगर इस संस्था के आदर की बात कर इसे सेलेक्ट कमेटी को भेजने की बात मनवाने में भी नाकाम रहा। 28 सदस्यों के विपक्ष के विरोध के बावजूद सदन में 40 विधायकों के संख्या बल से सत्तारूढ़ दल ने कई विधेयक पारित करवा लिए। नियमित और अनुबंध कर्मचारियों के सेवा लाभ में अंतर करने वाले विधेयक पर सत्तापक्ष जरूर कुछ सहमा था और विपक्ष के निशाने पर रहा, पर यहां भी विपक्ष के बाण अमोघ साबित नहीं हुए। जहां विपक्ष समोसे, जंगली मुर्गे जैसे मुद्दे भी समानांतर उठाता रहा, वहीं खुद मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री दोनों ही दोहराते रहे कि इनके पास यही मुद्दे हैं और जनता के असल मुद्दे नहीं। हालांकि, सदन के नेता मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू के नेतृत्व में कांग्रेस विधायक दल और नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर की अगुवाई में विपक्ष खूब एकजुट नजर आया।
21 घंटे 30 मिनट तक चली विधानसभा की कार्यवाही
विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा कि पहली बार शून्यकाल शुरू हुआ, जिसमें 26 विषय लगे। नियम 61 के तहत दो और नियम 62 के तहत तीन विषय चर्चा के लिए आए। गैर सरकारी सदस्य दिवस पर तीन गैर सरकारी संकल्प प्रस्तुत किए गए। विधानसभा की कार्यवाही 21 घंटे 30 मिनट तक चली। इसमें सत्तापक्ष नौ घंटे,30 मिनट और विपक्ष ने 8 घंटे 30 मिनट तक सार्थक चर्चा की।