सामरिक महत्व की बिलासपुर- मनाली- लेह रेललाइन को वित्त और रक्षा मंत्रालय से हरी झंडी मिल गई है। अब इसकी फाइल मंजूरी के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) के पास पहुंच गई है। एनएसए से चर्चा के बाद फाइल पीएमओ भेजी जाएगी।
इसके बाद तय होगा कि रेललाइन के लिए कब और कहां से बजट दिया जाए और काम कब शुरू होगा। उधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेल लिंक का संचालन अगले महीने शुरू होने की संभावना है। उम्मीद जताई जा रही है कि इसके बाद केंद्र का पूरा ध्यान बिलासपुर-मनाली-लेह रेललाइन पर होगा। भानुपल्ली से बिलासपुर तक वर्ष 2027 तक ट्रेन पहुंचाने का लक्ष्य है। रेललाइन प्रोजेक्ट की डीपीआर वर्ष 2022 में तैयार की जा चुकी है। इसके मुताबिक प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत एक लाख करोड़ से अधिक आंकी गई थी, लेकिन अब संशोधन के बाद बढ़ गई है।
रेल मंत्रालय ने एस्केप टनलों (सुरक्षा सुरंगों) का आकार बढ़ाया है, इसके कारण लागत बढ़ी है। ये टनलें रेललाइन की मुख्य टनलों के साथ बनेंगी ताकि आपात स्थिति में लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला जा सके।
2200 हेक्टेयर भूमि का होगा अधिग्रहण
रेललाइन के लिए हिमाचल और लद्दाख में कुल 2200 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया जाएगा। इसमें 26 फीसदी यानी 572 हेक्टेयर भूमि वन क्षेत्र की होगी। भूमि अधिग्रहण पर 11,500 करोड़ खर्च होंगे।
चार चरणों में होगा काम, सेना के लिए 13 किमी ट्रैक अलग से बनेगा
रेललाइन का काम चार चरणों में होगा। पहला बिलासपुर से मंडी, दूसरा मंडी से मनाली, तीसरा मनाली से उपशी और चौथा उपशी से लेह तक रहेगा। काम लेह की तरफ से शुरू करने की योजना है। सेना की जरूरतों को देखते हुए लेह से चीन सीमा तक करीब 13 किमी ट्रैक अलग से बिछाया जाएगा। ट्रैक पर पांच स्टेशन होंगे, जिसमें सामान उतारने व चढ़ाने की सुविधा होगी। डीपीआर के अनुसार, करीब 62,000 करोड़ रुपये रेललाइन के पुलों और टनलों पर ही खर्च होंगे।