हिमाचल प्रदेश में घटा सेब उत्पादन, यूनिवर्सल कार्टन ने दी बागवानों को राहत

Year Ender 2024 Apple production decreased in Himachal Universal Carton gave relief to gardeners

हिमाचल में इस साल मौसम की मार के कारण बीते साल के मुकाबले सेब उत्पाद में गिरावट आई लेकिन यूनिवर्सल कार्टन ने बागवानों को बड़ी राहत दी। इस साल सेब उत्पादन में करीब 20 हजार मीट्रिक टन की गिरावट आई। मंडी मध्यस्थता योजना (एमआईएस) के तहत सेब खरीद भी पिछले साल के मुकाबले करीब 17,000 मीट्रिक टन कम हुई है।

दिसंबर 2023 से मई 2024 के बीच पर्याप्त बारिश और बर्फबारी न होने के कारण चिलिंग ऑवर प्रभावित होने से फसल को नुकसान पहुंचा। इस साल सीजन करीब 15 दिन देरी से शुरू हुआ। साल 2022-23 में अक्तूबर माह तक 4.07 लाख मीट्रिक टन सेब कारोबार हुआ था, जबकि इस साल 3.87 लाख मीट्रिक टन ही सेब कारोबार हो पाया। एमआईएस के तहत पिछले साल अक्तूबर तक 49,000 मीट्रिक टन सेब खरीद हुई थी। हालांकि यूनिवर्सल कार्टन लागू करने से बागवानों को 20 किलो सेब पैकिंग में रिकॉर्ड दाम मिले। सेब सीजन से यूनिवर्सल कार्टन को अनिवार्य तौर पर लागू करने से बागवानों को दोहरा लाभ हुआ। यूनिवर्सल कार्टन लागू होने से जहां बागवानों को पेटियों में अतिरिक्त सेब भरने से छुटकारा मिला, वहीं मंडियों में दाम भी अच्छे मिले। यूनिवर्सल कार्टन लागू होने से किलो के हिसाब से सेब बेचने की व्यवस्था भी प्रभावी तरीके से लागू हुई। हर पेटी का वजन करने से छुटकारा मिला।

बागवानी विकास परियोजना का पहला चरण खत्म, दूसरे चरण की तैयारी शुरू
2016 में शुरू हुई बागवानी विकास परियोजना 31 अक्तूबर 2024 को पूरी हो गई। 1045.00 करोड़ रुपये की परियोजना का मुख्य उद्देश्य बागवानी उत्पादों की उत्पादकता, गुणवत्ता और बाजार तक पहुंच बढ़ाना था। परियोजना के तहत 30.26 लाख पौधों का आयात किया गया। 260 लघु सिंचाई योजनाएं बनाकर 12865 हेक्टेयर भूमि को सिंचाई क्षेत्र के अधीन लाया गया, जिससे करीब 14270 किसान लाभान्वित हुए। 1.34 लाख किसानों को प्रशिक्षण दिया गया। फलों से संबंधित 13 परियोजनाएं पूरी की गई हैं। ई-उद्यान और ऑनलाइन बिक्री पोर्टल की सुविधा शुरू की गई। परियोजना के दूसरे चरण की तैयारी शुरू हो गई है। फेस-2 में बागवानी के अलावा कृषि, पशुपालन और मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए प्रयास होंगे। बागवानी विकास परियोजना फेस-1 के प्रभावी क्रियान्वयन से विश्व बैंक संतुष्ट है और फेस-2 के वित्त पोषण के लिए भी प्रारंभिक तौर पर तैयार है।

100 करोड़ की लागत से तैयार हुआ पराला फ्रूट प्रोसेसिंग प्लांट
इस साल हिमाचल का पहला 100 करोड़ की लागत से तैयार पराला फ्रूट प्रोसेसिंग प्लांट बनकर तैयार हुआ। प्लांट का निर्माण कार्य 2021 में शुरू हुआ था। इसके लिए स्विट्जरलैंड से मशीनरी मंगवाई गई है। इस प्लांट की क्षमता एक महीने में करीब 16,000 टन सेब का जूस तैयार करने की है। हर रोज यह प्लांट 200 टन सेब का जूस का उत्पादन करने में सक्षम है। इसके अलावा यह प्लांट सालाना 1 लाख लीटर एप्पल वाइन और 50 हजार लीटर सेब का सिरका भी तैयार करेगा। प्लांट के साथ एक कोल्ड स्टोर भी बनकर तैयार हो गया है।

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