हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले के लुहणू से बंदला धार के लिए रोपवे बनाने की घोषणा तीन साल पहले हुई। इसके बाद सर्वे हुआ, रिपोर्ट बनी लेकिन केंद्र में फाइलों में दफन हो गई। तीन साल बाद भी इसके निर्माण की कवायद आगे नहीं बढ़ी है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने दिसंबर 2021 में प्रदेश के 13 रोपवे में इसकी घोषणा भी की थी। केंद्रीय बजट में पर्वतमाला योजना में तीन किमी के रोपवे को शुरू करने की घोषणा की गई थी। रोपवे एंड रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम डेवलपमेंट कॉरपोरेशन ने इसकी फिजिबिलिटी रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजी थी। इसके बाद इसके लिए बजट में 150 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था। परियोजना की प्रारंभिक रिपोर्ट 2023 में रोपवे एंड रैपिड ट्रांसपोर्ट डेवलपमेंट कॉरपोरेशन की टीम ने केंद्रीय मंत्रालय को भेजी।
टीम ने लुहणू से बंदला की पहाड़ी तक जहां से इस रोषये को ले जाना है, उस जमीन का जायजा लेने के बाद ही यह रिपोर्ट तैयार की थी। साइट को देखने के बाद इस परियोजना के लिए कितनी निजी भूमि और कितनी सरकारी भूमि का अधिग्रहण करना होगा, इसका भी रिपोर्ट में जिक्र था। इसके अलावा तकनीकी रूप से क्या बेहतर संभावनाएं है और क्या नहीं, इस पर भी रिपोर्ट में कमेंट लिखे थे। लेकिन जिस परियोजना को केंद्रीय मंत्री ने अहम प्रोजेक्ट कहा था, उसकी फाइल एक साल से केंद्र सरकार के पास दफन है। उस पर न तो कोई कार्रवाई हुई और न ही परियोजना आगे बढ़ सकी। जबकि उक्त 13 में से कई रोपवे का कार्य भी शुरू हो गया है।
बंदला पैराग्लाइडिंग साइट विश्व की तीन श्रेष्ठ पैराग्लाइडिंग साइट में से एक है। इस साइट पर मानव परिंदे गोबिंद सागर झील पर बेखौफ होकर एक्रो गतिविधियां करते हैं। अगर यह रोपवे बनता है तो बंदला धार पर्यटन की दृष्टि से और विकसित होगी। सड़क मार्ग से बंदला की दूरी करीब 14 किमी है। लेकिन जब रोपवे बनकर तैयार होगा तो यह दूरी मात्र तीन किलोमीटर की होगी।
रोपवे एंड रैपिड ट्रांसपोर्ट डेवलपमेंट कॉरपोरेशन ने भारत सरकार के साथ इस परियोजना के लिए समझौता किया है। पर्वतमाला योजना में इसे लिया गया है। परियोजना की फिजिबिलिटी, जमीन संबंधी व अन्य जरूरी पहलुओं पर रिपोर्ट तैयार कर केंद्र को भेज दी गई है। लेकिन अभी तक इसकी कवायद इससे आगे नहीं बढ़ पाई है। जैसे ही फाइल को केंद्र से मंजूरी मिलेगी इसपर आगे का कार्य शुरू होगा।