हिमाचल की जेलों में अब जाति आधार पर नहीं बांटा जाएगा कैदियों को काम, जानें विस्तार से

Now inmates of Himachal jails will not be given work on the basis of caste know in detail

हिमाचल प्रदेश की जेलों में अब जाति आधार पर कैदियों में काम का आवंटन नहीं किया जाएगा। न ही रिकॉर्ड में हिंदू, मुसलमान, ईसाई की जाति, समुदाय या संप्रदाय का उल्लेख होगा। इससे पूर्व जेल मैनुअल में इस तरह का प्रावधान रहा है। हिमाचल प्रदेश जेल मैनुअल 2021 में संशोधन करते हुए राज्य सरकार ने कई नए प्रावधान किए हैं। इस बाबत अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह ओंकार शर्मा ने अधिसूचना जारी की है।

केंद्र सरकार की ओर से जेल मैनुअल में संशोधन करने के बाद हिमाचल में भी इसमें बदलाव किया गया है। राज्य सरकार ने हिमाचल प्रदेश जेल मैनुअल दूसरा संशोधन 2025 को अधिसूचित करते हुए इसमें कई नए पैरा डाले हैं। पैरा 5.66 में व्यवस्था की गई है कि कैदियों में जातीय आधार पर कोई भेदभाव, वर्गीकरण और पृथक्करण नहीं किया जाएगा। पैरा 5.67 के अनुसार कैदियों से जेल में कार्य आवंटन में जातीय आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा। मैला ढोने, सीवरेज प्रणाली और सैप्टिक टैंक की सफाई भी कैदियों से नहीं करवाई जाएगी। पुराने जेल मैनुअल में सफाई कार्य के लिए महिलाओं के नहीं होने की स्थिति में पेड-स्वीपर की व्यवस्था का प्रावधान था। पैरा 214 की इस व्यवस्था को मैनुअल से पूरी तरह से हटा दिया गया है।

जेल मैनुअल में आदतन अपराधी पर भी स्थिति स्पष्ट
जेल मैनुअल में आदतन अपराधी पर भी स्थिति स्पष्ट की गई है। इस व्यवस्था के अनुसार वह व्यक्ति जिसे लगातार पांच वर्ष की अवधि के दौरान अलग-अलग अवसरों पर किए किसी एक या अधिक अपराधों के कारण दो से अधिक बार दोषी ठहराया गया हो और कारावास की सजा सुनाई गई हो, वह इसमें शामिल होगा। बशर्ते ऐसी सजा को अपील या समीक्षा में उलट नहीं किया गया हो। पांच वर्ष की निरंतर अवधि की गणना करते समय कारावास की सजा या नजरबंदी के तहत जेल में बिताई अवधि को ध्यान में नहीं रखा जाएगा। आदतन अपराधी की गणना कैदियों को पैरोल पर भेजने की प्रक्रिया के तहत की जाती है।

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