आर्थिक बंदिशों के बीच सबका ख्याल… पर्यटन के पंख पर विकास की उड़ान

Himachal Pradesh Budget Analysis 2024-25 Sukhvinder Singh Sukhu

वित्त मंत्री के रूप में अपना तीसरा बजट पेश करते हुए सीएम सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि पिछले कई दशकों में साल 2025-26 सबसे चुनौतीपूर्ण होगा। कठिन आर्थिक हालात में सबका ख्याल रखते हुए सुक्खू सरकार ने बजट में आखिरी व्यक्ति तक पहुंचने का प्रयास किया है, लेकिन कई बंदिशों व मदद के लिए केंद्र की मुट्ठी बंद होने से हिमाचल के बजट में विकास का हिस्सा घट गया है।

कर रहित बजट में आत्मनिर्भरता के संकल्प के साथ प्रदेश सरकार पर्यटन के पंखों पर विकास की उड़ान भरने की जद्दोजहद कर रही है, लेकिन केंद्र की बैसाखी के बिना आने वाले साल में डगर और मुश्किल होगी। अगले वित्त वर्ष में राजस्व घाटा 6,390 करोड़ अनुमानित है, जबकि केंद्र से राजस्व घाटा अनुदान महज 3,257 करोड़ रुपये ही मिलेगा। यह बीते साल की तुलना में तीन हजार करोड़ कम है। हालांकि, राजकोषीय घाटा पिछले साल की तुलना में कम रहने का अनुमान है, लेकिन यह भी राज्य के सकल घरेलू उत्पाद का 4.04 फीसदी होगा। ऐसे में ऋण लेने में राज्य सरकार को दिक्कतें आ सकती हैं। 

बेशक, सरकार के अपने राजस्व में बढ़ोतरी हुई है, लेकिन राजकोषीय घाटा 10,338 करोड़ अनुमानित होने के कारण प्रतिपूर्ति के लिए सरकार को इतना ही कर्ज लेना पड़ सकता है। ऐसे में साल 2025-26 में हिमाचल पर कर्ज का बोझ एक लाख करोड़ के पार जा सकता है। उधर, हिमाचल के बजट में विकास का हिस्सा भी साल दर साल कम हो रहा है। वर्ष 2023-24 के बजट में सौ रुपये में से 29 रुपये विकास के लिए रखे गए थे, जो साल 2024-25 में 28 रुपये रह गए और साल 2025-26 में पूंजीगत कार्यों सहित अन्य विकासात्मक गतिविधियों के लिए महज 24 रुपये बचेंगे। आर्थिक सेहत और रोजगार के मद्देनजर सरकार ने धार्मिक, एडवेंचर और हेल्थ टूरिज्म बढ़ाने पर फोकस  किया है। नए पर्यटन स्थल विकसित करने के साथ सीएम पर्यटन स्टार्ट अप योजना का बजट में एलान हुआ है। पांच सितारा स्तर के नेचुरल केयर वेलनेस सेंटर स्थापित किए जाएंगे। चाय बागानों को पर्यटन से जोड़ा जाएगा। ईको टूरिज्म से 200 करोड़ रुपये अर्जित करने का लक्ष्य रखा है। तीसरे बजट में सुक्खू सरकार ने देहात की ओर रुख किया है। 

पंचायत चुनाव की आहट के बीच ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की कदमताल के साथ स्वरोजगार और सरकारी नौकरियों के द्वार भी खोले हैं। दिहाड़ीदारों, अस्थायी कर्मियों, कर्मचारियों-पेंशनरों, पंचायत एवं स्थानीय निकाय प्रतिनिधियों और छोटे कारोबारियों समेत सब तबकों पर राहत की फुहार की है। नेचुरल व ग्रीन हिमाचल बनाने के संकल्प के साथ सरकार ने ग्रामीण विकास एवं स्वास्थ्य सेवाओं पर फोकस किया है। बढ़ते नशे पर बजट पर चिंता की है। दूध और फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने के साथ उत्पादों को कलेक्शन सेंटर तक ले जाने के लिए फ्रेट सब्सिडी की व्यवस्था की है। किसानों के लिए एग्रीकल्चर लोन इंटरेस्ट सबवेंशन स्कीम सरकार लेकर आई है। प्राकृतिक खेती से उगाई मक्की के साथ हल्दी का भी एमएसपी घोषित किया है। किसान उद्यम नवाचार केंद्र स्थापित करने के अलावा लीची, अनार और अमरूद को भी फसल बीमा योजना के तहत लाया गया है।

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