
हिमाचल प्रदेश में शून्य दाखिलों वाले 103 स्कूल बंद किए जाएंगे। वहीं, 10 विद्यार्थियों वाले 443 स्कूल मर्ज करने की योजना है। स्कूल शिक्षा निदेशालय ने 21 अप्रैल तक स्कूलों में हुए दाखिलों के आधार पर प्रस्ताव तैयार कर मंजूरी के लिए सरकार को भेज दिया है। 10 बच्चों वाले स्कूल 2 से 5 किमी के दायरे में आने वाले अधिक दाखिलों वाले स्कूलों में समायोजित किए जाएंगे। प्रस्ताव में बताया गया है कि प्रदेश में 72 प्राइमरी, 28 मिडल और तीन हाई स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या शून्य है। इन स्कूलों को डिनोटिफाई करते हुए बंद करना चाहिए।
203 प्राथमिक स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या पांच या उससे कम
203 प्राथमिक स्कूल ऐसे हैं जहां विद्यार्थियों की संख्या पांच या उससे कम है। इन स्कूलों को दो किमी के दायरे में आने वाले अन्य स्कूलों में मर्ज करना चाहिए। पांच से कम विद्यार्थियों की संख्या वाले 142 प्राइमरी स्कूल ऐसे हैं, जिनके दाे किलोमीटर के दायरे में अन्य स्कूल नहीं हैं। इन स्कूलों को तीन किमी की दूरी के स्कूलों में मर्ज करना होगा। 92 मिडल स्कूलों में दस या उससे कम विद्यार्थी हैं, इन्हें तीन किमी से अधिक दूरी वाले स्कूलों में मर्ज करने की सिफारिश की गई है। 20 बच्चों वाले सात उच्च स्कूलों को चार किमी के दायरे में मर्ज करने और पांच से दस बच्चों की संख्या वाले 39 उच्च स्कूलों का दर्जा कम कर मिडल बनाने का प्रस्ताव है।
73 उच्च, वरिष्ठ माध्यमिक स्कूलों का कम होगा दर्जा
प्रस्ताव में विद्यार्थियों की कम संख्या वाले 73 उच्च और वरिष्ठ माध्यमिक स्कूलों का दर्जा कम करने की सिफारिश भी की गई है। एक वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल में विद्यार्थियों की संख्या 25 से कम है। इसे मर्ज करने का प्रस्ताव है। 10 बच्चों वाले 16 वरिष्ठ माध्यमिक स्कूलों का दर्जा कम कर उच्च स्कूल बनाने को कहा गया है। यहां पढ़ने वाले बच्चों को पांच किलोमीटर के दायरे में आने वाले स्कूलों में दाखिले दिलाए जाएंगे। 18 वरिष्ठ माध्यमिक स्कूलों में पांच से कम विद्यार्थी मिले हैं। इन स्कूलों का दर्जा भी कम होगा।
लड़के और लड़कियाें के 78 स्कूल मर्ज होकर बनेंगे सह शिक्षा
लड़के और लड़कियाें की कम संख्या वाले 78 स्कूलों को मर्ज कर सह शिक्षा स्कूल बनाया जाएगा। जिला और ब्लॉक स्तर पर 39 स्थानों में लड़के और लड़कियों के अलग-अलग स्कूल चल रहे हैं। जिस स्कूल में आधारभूत ढांचा अधिक होगा वहां पहली से दसवीं कक्षा तक के सह शिक्षा स्कूल चलेंगे। अन्य में जमा एक और जमा की कक्षाएं लगाई जाएंगी। जहां दाखिले अधिक होंगे, वहां कला, मेडिकल और नॉन मेडिकल की कक्षाएं चलेंगी।