शिंकुला दर्रा के नीचे बनेगी दुनिया की सबसे ऊंची डबल टनलिंग सुरंग, जानें क्या होगा फायदा

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बीआरओ समुद्र तल से 15,840 फुट की ऊंचाई पर दुनिया की सबसे ऊंची डबल टनलिंग सुरंग का निर्माण कर रहा है। टनल से चीन अधिकृत तिब्बत और पाकिस्तान से स्टे लद्दाख की सीमा की सुरक्षा और भी मजबूत होगी।

सीमा सड़क संगठन एक और ऐतिहासिक उपलब्धि की ओर बढ़ रहा है। दुर्गम क्षेत्र जांस्कर रेंज में स्थित 16,080 फुट ऊंचे शिंकुला दर्रा के नीचे बीआरओ समुद्र तल से 15,840 फुट की ऊंचाई पर दुनिया की सबसे ऊंची डबल टनलिंग सुरंग का निर्माण कर रहा है।

यह परियोजना वर्ष 2028 तक पूरी होने की संभावना है। टनल से चीन अधिकृत तिब्बत और पाकिस्तान से स्टे लद्दाख की सीमा की सुरक्षा और भी मजबूत होगी। यह टनल 4.1 किलोमीटर लंबी और 10.5 मीटर चौड़ी होगी। दोनों टनलों में अब तक करीब 30-30 मीटर खुदाई की जा चुकी है। चट्टानों के बीच ड्रिल एंड ब्लास्टिंग तकनीक से प्रतिदिन औसतन 4-4 मीटर तक खोदाई हो रही है।

धारीवाल कंपनी को इस महत्वाकांक्षी परियोजना का 1290 करोड़ रुपये का ठेका दिया गया है। इसमें तीन पुलों और दो किलोमीटर सड़क का भी निर्माण किया जा रहा है। 25 मजदूरों और 8 इंजीनियरों की टीम विषम परिस्थितियों में दिन-रात काम में जुटी है। प्रतिदिन करीब 700 बोरी सीमेंट की खपत हो रही है।

प्रोजेक्ट को-ऑर्डिनेटर विक्रम के मुताबिक इस टनल का निर्माण समुद्र तल से इतनी ऊंचाई पर करना सबसे बड़ी चुनौती है। यहां ऑक्सीजन की भारी कमी है, जिससे श्रमिक लगातार तीन दिन से ज्यादा काम नहीं कर पाते। तीन दिन बाद सभी को नीचे विश्राम के लिए भेजना पड़ता है। कुछ श्रमिकों को नाक से खून आना, सिरदर्द, चक्कर और उल्टी जैसी समस्याएं झेलनी पड़ती हैं।

टनल के निर्माण से पाकिस्तान और चीन की सीमाओं से सटे लद्दाख बॉर्डर पर पहुंचना सुगम हो जाएगा। यह टनल जांस्कर और कारगिल जैसे क्षेत्रों में पर्यटन को नई उड़ान देगी। साल भर यातायात चालू रहने से क्षेत्र में आर्थिक और सामाजिक विकास भी तेज होगा।

शिंकुला टनल न केवल इंजीनियरिंग का चमत्कार साबित होगी, बल्कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा, पर्यटन, और स्थानीय विकास का भी सशक्त माध्यम बनेगी। सीमा सड़क संगठन की यह पहल आने वाले समय में भारत की रणनीतिक स्थिति को और भी सुदृढ़ बनाएगी।

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