शिमला। बिजली का बिल झटका दे सकता है। बिजली बोर्ड ने अप्रैल 2023 से बिजली दरें 90 पैसे प्रति यूनिट तक महंगी करने का प्रस्ताव तैयार किया है। घरेलू उपभोक्ताओं को प्रतिमाह 125 यूनिट तक निशुल्क बिजली देने से बोर्ड का आर्थिक संतुलन गड़बड़ा गया है। इससे बोर्ड का राजस्व घाटा 275 करोड़ पहुंच गया है। प्रदेश में बीते तीन साल से बिजली की दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है। बिजली बोर्ड को सरकार की ओर से हालांकि अनुदान के तौर पर इस वर्ष 750 करोड़ रुपये दिए गए हैं, इसके बावजूद बोर्ड को अपना खर्च पूरा करना मुश्किल हो गया है। प्रतिमाह करीब 180 करोड़ रुपये वेतन और पेंशन के लिए बोर्ड को चाहिए होते हैं। ऐसे में राज्य विद्युत नियामक आयोग में बोर्ड ने याचिका दायर कर अप्रैल 2023 से बिजली दरों में बढ़ोतरी करने की वकालत की है। हिमाचल प्रदेश के करीब 25 लाख घरेलू और अन्य श्रेणियों के उपभोक्ताओं को बिजली बोर्ड सप्लाई मुहैया करवा रहा है। करीब 14 लाख घरेलू उपभोक्ता प्रतिमाह 125 यूनिट से कम बिजली का इस्तेमाल कर रहे हैं। ऐसे में इन उपभोक्ताओं के बिल शून्य हो गए हैं। ऐसे उपभोक्ताओं से बोर्ड मीटर रेंट और अन्य सेवा शुल्क भी नहीं ले रहा है। निशुल्क बिजली की एवज में सरकार की ओर से बोर्ड को प्रतिमाह 66 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी जा रही है। 31 दिसंबर 2022 तक के लिए सरकार ने इसका भुगतान कर दिया है। मार्च 2022 में विद्युत नियामक आयोग ने वर्ष 2022-23 के लिए बिजली बोर्ड की राजस्व जरूरतों को 5,730 करोड़ रुपये आंका था। यह राजस्व जरूरतें निशुल्क बिजली देने के बाद और बढ़ गई हैं। ऐसे में बोर्ड प्रबंधन ने घाटे को पूरा करने के लिए आयोग से वर्ष 2023-24 के दौरान 126 यूनिट से अधिक बिजली की खपत करने वाले उपभोक्ताओं और औद्योगिक उपभोक्ताओं के लिए दरें बढ़ाने की मांग की है। बोर्ड की इस याचिका पर जल्द ही आयोग की ओर से जन सुनवाई की जाएगी। सरकार से भी पक्ष मांगा जाएगा। सभी पक्षों को सुनने के बाद आयोग मार्च 2023 में दरों को लेकर फैसला लेगा। एक अप्रैल 2023 से नई बिजली दरें प्रदेश में लागू होंगी।