मंगलवार को विधानसभा सदन में प्रश्नकाल के दौरान विधायक केवल सिंह पठानिया, विपिन सिंह परमार और डॉ. जनकराज के सवाल का जवाब देते हुए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. धनीराम शांडिल ने कहा कि दवाओं के सैंपल फेल होने के मामलों में कई फार्मा कंपनियों को नोटिस जारी किए है। कुछ के लाइसेंस भी रद्द किए हैं।
हिमाचल प्रदेश में बीते एक साल के दौरान बद्दी-बरोटीवाला और नालागढ़ क्षेत्र में स्थित फार्मा कंपनियों में 374 दवाओं के सैंपल फेल हुए हैं। मंगलवार को विधानसभा सदन में प्रश्नकाल के दौरान विधायक केवल सिंह पठानिया, विपिन सिंह परमार और डॉ. जनकराज के सवाल का जवाब देते हुए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. धनीराम शांडिल ने कहा कि दवाओं के सैंपल फेल होने के मामलों में कई फार्मा कंपनियों को नोटिस जारी किए है। कुछ के लाइसेंस भी रद्द किए हैं।
स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि प्रदेश में दवाओं की गुणवत्ता को जांचने और निरीक्षण के लिए 38 औषधि नियंत्रक कार्यरत हैं। कोई फार्मा कंपनियां अगर नियमों के खिलाफ काम करती हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाती है। दवाओं की गुणवत्ता को जांचने के लिए 32 करोड़ रुपये से लैब तैयार की गई है, जल्द इसका उद्घाटन होगा। उन्होंने कहा कि सरकार का प्रयास है कि भविष्य में इस प्रकार की घटनाएं दोबारा न हों। ड्रग कंट्रोलर सेवानिवृत्त हो गए हैं। अब दूसरे सक्षम अधिकारी को कार्यभार सौंपा गया है। उन्होंने कहा कि जिस कंपनी के दवा सैंपल फेल हुए हैं और उस कंपनी के मालिक ने नए नाम से कंपनी खोली होगी ताे इसकी जांच की जाएगी।
ऐसी कंपनियों को हिमाचल से बाहर किया जाएगा। उधर, विधायक केवल सिंह पठानिया से सवाल पूछा कि दवा के सैंपल फेल होने के मामलों को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं। विधायक विपिन सिंह परमार ने कहा कि 35 फीसदी से अधिक दवाएं हिमाचल प्रदेश में बनती हैं, सैंपल फेल होने के मामलों में सख्ती बरती जानी चाहिए। विधायक डॉ. जनकराज ने भी दवा सैंपल फेल होने के मामलों को गंभीरता से लेने की मांग उठाई।