# कहीं नकली तो नहीं आपकी डायबिटीज और माइग्रेन की दवाएं|

 भारत में दस करोड़ से ज्यादा डायबिटीज रोगियों के बड़े दवा बाजार में नकली दवा माफिया की नजर है। दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने ताजा मामले में जिस नकली दवा बनाने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है, वह डायबिटीज और माइग्रेन जैसी बीमारियों की नकली दवा बना बाजार में सप्लाई कर रहा था। हैरानी ये है कि इन नकली दवाओं का उत्पादन दूर पहाड़ी राज्य हिमाचल के मंडी जिले की सुंदरनगर तहसील में किया जा रहा था।

यहां से कुरियर और अन्य माध्यमों से इन नकली दवाओं को देशभर के बाजार में सप्लाई कर दिया जाता था। मिली जानकारी के अनुसार शुरू में उक्त गिरोह ने सुंदरनगर में नकली दवाएं बनाई और जब काम बढ़ गया तो फैक्टरी को यूपी के शामली और गाजियाबाद में शिफ्ट कर दिया गया।

पुलिस ने गिरोह के मास्टरमाइंड पंचकूला के सुरेंद्र मलिक को गिरफ्तार किया है। बताया जा रहा है कि मलिक अल्ट्रासेट नामक नकली दवाओं की फैक्टरी चला रहा था। दिल्ली पुलिस ने इस मामले में दो सरगनाओं, निर्माताओं सहित थोक विक्रेताओं, रिटेल विक्रेताओं और फार्मासिस्ट सहित 10 लोगों की गिरफ्तारी की है।


मिली जानकारी के अनुसार दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर पवन कुमार ने जॉनसन एंड जॉनसन और ल्यूपिन कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ दिल्ली में एक वैन से नकली दवाएं बरामद कर दो आरोपियों को गिरफ्तार किया था। जांच मेंं पता चला कि नकली दवाओं के तार हिमाचल, हरियाणा, दिल्ली और यूपी से जुड़े हैं और बड़े पैमाने पर नकली दवाओं का कारोबार हो रहा है।

उल्लेखनीय है कि इससे पहले भी हिमाचल की कुछ कंपनियों को सब स्टैंडर्ड यानी घटिया क्वालिटी की दवा बनाने का दोषी पाया गया है, लेकिन पूरी तरह से नकली दवाएं हिमाचल में बनाए जाने का ये मामला अपने आप में अनोखा है। आरोपियों ने बड़े पैमाने पर लगने वाली डायबिटीज बीमारी की दवाओं को चुना, ताकि रिटेल में बड़े खेल को अंजाम दिया जा सके।

दिल्ली पुलिस ने कई जगह छापे मारकर नकली दवा बनाने में उपयोग लाई जा रही मशीनें, कच्चा माल और पैकेजिंग का माल बरामद किया है। इस मामले ने हिमाचल में भी एजेंसियों को सतर्क कर दिया है क्योंकि हिमाचल में देश के दवा उत्पादन का एक बड़ा हिस्सा उत्पादित किया जाता है। हिमाचल में बनी दवाएं देश के अलावा विदेशों में भी भेजी जाती हैं। बहुत जरूरी है कि दवा निर्माण और इसकी मार्केटिंग पर सरकारी एजेंसियों की कड़ी नजर हो, ताकि इलाज की आड़ में आम जनता के जीवन से खिलवाड़ रोका जा सके।

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