# फाइव स्टार होटल ललित में अटकी हिमाचल की राजनीति |

हिमाचल में दल-बदल की राजनीति का मंच पिछले 10 दिनों से हरियाणा के पंचकूला में सजा है। यहां कांग्रेस के 6 बागी विधायक, तीन निर्दलीय विधायक और भाजपा के दो विधायक फाइव स्टार होटल द ललित में पिछले 10 दिनों से डेरा डाले हुए हैं। यहां इन सभी विधायकों को हरियाणा भाजपा की मेहमाननवाजी मिल रही है। पिछले दिनों जब विक्रमादित्य इस होटल में बागियों से मिलने गए तो हरियाणा के सीएम के सलाहकार भी उनके साथ होटल की लॉबी में दिखे थे। यहां सभी विधायकों को सीआरपीएफ और हरियाणा पुलिस की सिक्योरिटी में रखा गया है।

हालांकि हिमाचल में सरकार गिराने का भाजपा का प्लान सफल नहीं हुआ, जबकि भाजपा ने अपनी तरफ से हर तरह के संसाधनों को इस मिशन में झोंक दिया था। राज्यसभा में क्रॉस वोट करने के अगले दिन इन बागी विधायकों को शिमला लाने के लिए भाजपा द्वारा दो हेलीकॉप्टर भी मुहैया कराए गए थे, जिनका घंटे का किराया लाखों के हिसाब से होता है। सुखना झील के समीप बने द ललित फाइव स्टार होटल में कमरे का किराया 13000 रुपए प्रतिदिन से लेकर 30 हजार रुपए प्रतिदिन तक है। होटल में स्विमिंग पूल, स्पा और जिम जैसी आधुनिक सुविधाएं भी हैं।

उधर विधानसभा से निकाले जाने के बाद सभी 6 विधायकों की आस अब अदालत पर है। वैसे न जाने क्यूं पहले बागियों ने कई दिन तक अदालत का दरवाजा ही नहीं खटखटाया। अब जब सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाने की खबर आई तो तीन दिन से सुनवाई की तिथि ही निर्धारित नहीं हो सकी है। इन विधायकों को पहले ही घर से बाहर 10 दिन से अधिक का समय हो चुका है और अगले दो दिन भी अदालत में सुनवाई की कम उम्मीद है। ऐसे में अभी और लंबा समय इन विधायकों को प्रदेश के बाहर प्रवास में काटना होगा।

इन सभी के विधानसभा क्षेत्रों में भी दल-बदल के बाद समीकरण पूरी तरह से बदल गए हैं और स्थानीय कांग्रेस नेता इन सभी विधायकों के खिलाफ न केवल बयान दे रहे हैं बल्कि कई जगह इनका पुतला भी कांग्रेसियों ने फूंका है। यानी अदालत की कार्रवाई और भाजपा से सेटिंग के बाद इन विधायकों को अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्र में अपने समर्थकों के रोष का सामना भी करना पड़ सकता है। वैसे तो सभी बागी विधायकों ने अपने बयानों में अपने समर्थकों के साथ होने की बात कही है और साथ ही यह भी कहा है कि उन्हें जनता की अदालत में जाने में कोई संकोच नहीं हैं। लेकिन सच तो यह भी है कि मात्र एक साल के भीतर ही दोबारा चुनाव में उतरना और वो भी दल-बदल के ठप्पे के साथ ये किसी भी राजनेता के लिए बुरा सपना ही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *