# संगठन में पैठ और जातीय संतुलन के चलते हाईकमान ने फिर जताया कश्यप पर भरोसा|

Lok Sabha Elections: Due to penetration and caste balance in the organization, the high command again expresse

कश्यप को भाजपा ने शिमला संसदीय क्षेत्र से दूसरी बार मैदान में उतारा गया है। वहीं, एक बड़ा कारण वर्ष 2019 के चुनाव में 3,27,515 वोटों से जीत दर्ज करना भी है। 

शिमला संसदीय क्षेत्र से भाजपा हाईकमान ने एक बार फिर साफ छवि और शांत व्यक्तित्व वाले सुरेश कश्यप पर भरोसा जताया है। जातीय संतुलन भी इनके काम आया है। कश्यप को भाजपा ने शिमला संसदीय क्षेत्र से दूसरी बार मैदान में उतारा गया है। वहीं, एक बड़ा कारण वर्ष 2019 के चुनाव में 3,27,515 वोटों से जीत दर्ज करना भी है। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष के पद पर रहने के चलते कश्यप की संगठन में भी अच्छी पैठ है।

उन्हें संगठन में काम करने का पांच साल का अनुभव है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, पूर्व सीएम जयराम ठाकुर के अलावा हाईकमान के साथ भी उनके अच्छे संबंध हैं। प्रदेश में भाजपा सरकार के दौरान प्रदेशाध्यक्ष होने का लाभ भी उनको मिला। शिमला संसदीय क्षेत्र में पांच साल काम करवाए। सरकार और संगठन में बेहतर तालमेल बिठाने और हाईकमान में टिकट को लेकर किसी तरह का विरोध न होना भी उनके पक्ष में गया। इसके अलावा पूर्व सैनिक होने का भी उन्हें हमेशा फायदा मिलता रहा है।  

टिकट मिलने के कारण
जातिगत समीकरणों की बात करें तो इसका भी पार्टी ने ध्यान रखा है। बता दें कि शिमला संसदीय क्षेत्र में अनुसूचित जाति के मतदाताओं का अच्छा सबसे ज्यादा है। इसके अलावा उनका भागदौड़ करने वाला व्यक्तित्व और युवा होना भी उन्हें टिकट दिलाने में अहम रहा। 

जीत का चौका लगाएंगे कश्यप
 शिमला संसदीय सीट पर भाजपा इस बार जीत का चौका लगाने को तैयार है। कश्यप ने कहा कि शिमला संसदीय सीट पर उन्हें दूसरी बार प्रत्याशी बनाने के लिए वह प्रधानमंत्री 
नरेंद्र मोदी, भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा का आभार व्यक्त करते हैं।

प्लस प्वाइंट
 
सुरेश कश्यप टिकट मिलने के बाद अगर जीतते हैं तो रुके हुए विकास कार्याें के अलावा हाटी मुद्दे को एक बार फिर से उठा सकते हैं। पूर्व सैनिक होने का लाभ भी हमेशा उनको मिलता आया है। सुरेश कश्यप पिछली बार भी इस सीट से जीतकर आए थे और शिमला संसदीय क्षेत्र से भलिभांति परिचित हैं और यहां लोगों में उनकी अच्छी पैठ भी है। 

पहला चुनाव हार गए थे सुरेश कश्यप
सुरेश कश्यप ने बीडीसी के चुनाव से अपना राजनीतिक जीवन शुरू किया। उनका जन्म 23 मार्च 1971 को बजगा पंचायत के पपलाह गांव में हुआ।1988 को सुरेश कश्यप एयरफोर्स में सिपाही के पद पर भर्ती हुए। सोलह साल तक सेवाएं देने के बाद वर्ष 2004 में एयरफोर्स से एसएनसीओ के पद से सेवानिवृत्त हुए। एयरफोर्स में नौकरी के दौरान उच्च शिक्षा को जारी रखी।   लोक प्रशासन में एमए, टूरिज्म और पीजीडीसीए में डिप्लोमा किया।

सेवानिवृत्त होने के बाद लोक प्रशासन में एमफिल किया। वर्ष 2005 में पच्छाद बीडीसी के बजगा वार्ड के पंचायत समिति सदस्य बने। इस बीच वर्ष 2007 में पहली बार भाजपा के टिकट पर विधानसभा का चुनाव लड़ा। जिसमें वह गंगू राम मुसाफिर से हार गए। 2012 में दूसरी बार भाजपा के टिकट पर विधानसभा का चुनाव लड़ा और पहली बार जीतकर विधानसभा पहुंचे। 2017 में तीसरी बार विधानसभा का चुनाव जीता। 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने उन्हें टिकट दिया और वह रिकाॅर्ड मतों से जीते।  

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