# पांच बार प्रथम श्रेणी, एक बार सर्वाधिक मतदान का रिकॉर्ड हिमाचलियों के नाम|

loksabha election 2024: First class five times, record of maximum voting once in the name of Himachalis

 पांच बार प्रथम श्रेणी (60 फीसदी से अधिक मतदान) और एक बार देश में सर्वाधिक मतदान 72.42 % का रिकॉर्ड हिमाचलियों के नाम है। 

लोकतंत्र के सबसे बड़े पर्व के प्रति हिमाचलियों का उत्साह कभी कम नहीं हुआ है। पांच बार प्रथम श्रेणी (60 फीसदी से अधिक मतदान) और एक बार देश में सर्वाधिक मतदान 72.42 फसदी का रिकॉर्ड हिमाचलियों के नाम है। केंद्र में सरकार चुनने को हर चुनाव में प्रदेश के मतदाता बढ़चढ़ कर भाग लेते आ रहे हैं। वर्ष 1977 में 59 फीसदी से वर्ष 2019 तक मतदान प्रतिशतता 72 फीसदी तक पहुंच गई। ये आंकड़े हिमाचलियों के जोश और जज्बे के गवाह हैं। 

मतदाताओं के जज्बे को देखते हुए ही इस बार चुनाव आयोग ने हिमाचल के चारों संसदीय क्षेत्रों में मतदान का लक्ष्य 75 फीसदी पार करने का रखा है। आंकड़े दर्शाते हैं कि हिमाचल में हुए लोकसभा चुनावों की मतदान प्रतिशतता देश की प्रतिशतता के बराबर या अधिक ही रही है। पिछले 12 चुनावों में पांच बार 1984-85, 1989, 1998, 2014 और 2019 के दौरान हिमाचल के मतदाता प्रथम (60 फीसदी से अधिक मतदान) श्रेणी में पास हुए हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में पहाड़ी राज्य के मतदाताओं ने रिकॉर्ड मतदान कर इतिहास रचा था। चुनाव में देवभूमि में रिकॉर्ड 72.42 फीसदी मतदान हुआ था। वर्ष 1998 में 65.32 प्रतिशत था। 

महिलाओं की बढ़ती गई मतदान में भागीदारी
हिमाचल में वर्ष 1977 के चुनाव में महिलाओें की मतदान प्रतिशतता 44.8 फीसदी थी। 1980 में 44.5 फीसदी, 1984-85 में 47.1 फीसदी, 1991 में 46.1, 1996 में 48.4, 1998 में 66.3, 1999 में 54.3 और 2004 में 59.03 फीसदी मतदान प्रतिशतता रही है। वर्ष 2009 के चुनाव में 59.5 और 2014 में 65.4 फीसदी ने मतदान किया था। 2019 के चुनाव में महिलाओं ने रिकॉर्ड 74.31 फीसदी मतदान किया था। पुरुषों की मतदान प्रतिशतता 70.61 रही थी। 

दुर्गम इलाके लेते हैं मतदाताओं की परीक्षा
हिमाचल में चंबा, लाहौल स्पीति जैसे जिलों में कई ऐसे दुर्गम क्षेत्र हैं, जो मतदाताओं भी परीक्षा लेते हैं। दुर्गम क्षेत्रों के मतदान केंद्रों तक पहुंचने में कई तरह की मुश्किलें पेश आती हैं। वहीं, पोलिंग पार्टियों के लिए भी पोलिंग बूथों तक पहुंचना आसान नहीं है। कहीं नाव तो कहीं हेलिकाप्टर से ईवीएम मतदान केंद्रों तक पहुंचानी पड़ती है। इस सब के बावजूद वोट डालने के लिए मतदाताओं में अलग ही जोश नजर आता है। 

वर्ष       पोलिंग स्टेशन    कुल मतदाता    मतदान हुआ    मतदान %
1977        3361           19,61,050        11,67,927       59.56
1980       3742           21,75,326        12,77,049       58.70
1984-85    4129         23,14,024       14,22,000        61.45
1989        4678          29,83,759       19,07,671        63.94
1991        4681         30,76,182        17,65,627         57.40
1996        5721        35,36,517         20,36,415         57.58
1998        6230        36,28,864         20,06,774        65.32
1999        6230       37,86,479          21,49,816        56.78
2004         6232      41,81,995          24,97,149         59.71
2009        7253       46,06,674         26,91,573         58.43
2014        7382       48,10,071         31,00,199         64.45
2019        7730       53,30,154         38,59,940          72.42

1996 में सबसे ज्यादा, 1977 में सबसे कम प्रत्याशी उतरे थे चुनाव मैदान में
प्रदेश में 1977 से 2019 तक हुए लोकसभा चुनावों में सबसे अधिक प्रत्याशी 1996 के चुनाव में उतरे थे। वर्ष 1996 के चुनाव में प्रदेश के चार संसदीय क्षेत्रों से 54 प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा था। 1977 के चुनाव में सबसे कम 14 प्रत्याशी ही मैदान में उतरे थे। 1980 में 29, 1984-85 में 31, 1989 में 33, 1991 में 45, 1998 में 22, 1999 में भी 22, 2004 में 23, 2009 में 31, 2014 में 38 और वर्ष 2019 के चुनाव में 45 प्रत्याशियों ने अपना भाग्य आजमाया था।

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