हिमाचल प्रदेश लोकसभा चुनाव और विधानसभा उपचुनाव में नेता संबंधों की साख से चुनावी बिसात बिछाने में जुटे हैं। राज्य में एक जून को लोकसभा और विधानसभा उपचुनाव के लिए मतदान होना है। ऐसे में पार्टी नेता जनता को रिझाने के लिए अपने राजनीतिक शख्सियतों से संबंधों की दुहाई भी दे रहे हैं। राज्य में कई नेताओं को विरासत में राजनीति मिली है। विभिन्न पार्टियों के नेता और प्रत्याशी पारिवारिक पृष्ठभूमि को याद दिलाकर जनता को आकर्षित करने में लगे हैं।
होलीलॉज की प्रतिष्ठा बचाने के लिए राज परिवार खासा सक्रिय
राज्य में छह बार मुख्यमंत्री रहे दिवंगत वीरभद्र सिंह की पत्नी और कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष प्रतिभा सिंह अपने दौरों के दौरान व बैठकों में वीरभद्र सिंह के कार्यकाल और विकास में योगदान को याद करवा रही हैं। उनके बेटे लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह भी होलीलॉज की प्रतिष्ठा बचाने के लिए खासे सक्रिय हैं। हालांकि, उनके कुछ दांव पूरी तरह से फिट नहीं बैठ पाए, यह अलग बात है। मंडी संसदीय सीट पर पंडित सुखराम के पोते व भाजपा के वरिष्ठ विधायक अनिल शर्मा के बेटे आश्रय शर्मा भी लोकसभा चुनाव लड़ने की चाह लिए बताए जा रहे हैं। वह कह चुके हैं कि जो भी पार्टी उन्हें टिकट देगी, वह चुनाव लड़ेंगे। वह मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू से होली वाले दिन विशेष भेंट कर चुके हैं। वह भी अपने दादा पूर्व केंद्रीय मंत्री पंडित सुखराम की साख की दुहाई दे रहे हैं। मंडी में वीरभद्र के अलावा पंडित सुखराम परिवार का भी एक बड़ा फैक्टर रहा है।
बेटे चैतन्य शर्मा के लिए जीतोड़ मेहनत कर रहे पूर्व मुख्य सचिव राकेश शर्मा
कांग्रेस पार्टी के बागी विधायक चैतन्य शर्मा के लिए उनके पिता उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिव राकेश शर्मा भी खूब पसीना बहा रहे हैं। राकेश शर्मा पर शिमला के बालूगंज थाना में दो विधायकों ने एक मामला भी दर्ज करवाया है।