# हिमाचल में महंगाई पर लगाम नहीं, सब्सिडी के राशन से भी नहीं भर रहा पेट|

There is no control on inflation in Himachal, even subsidized ration is not filling the stomach

राजनीतिक दल की सरकार रही हो लेकिन महंगाई पर लगाम कोई नहीं लगा पाई। लोकसभा चुनाव में हर बार महंगाई का मुद्दा बनता है।

हिमाचल में किसी भी राजनीतिक दल की सरकार रही हो लेकिन महंगाई पर लगाम कोई नहीं लगा पाई। लोकसभा चुनाव में हर बार महंगाई का मुद्दा बनता है। चुनाव के बाद नेता भूल जाते हैं। दूसरी ओर, डिपो में सब्सिडी पर मिलने वाले राशन की मात्रा भी कम हो रही है, ऐसे में सब्सिडी के राशन से भी पेट नहीं भर रहा।

पहले लोग राशन डिपो पर निर्भर रहते थे, लेकिन इनमें पहले के मुकाबले आटा, चावल की मात्रा कम हो गई है। हर तीन महीने बाद दालों और तेल के बढ़ रहे हैं। मार्केट में दालें खरीदना जनता की बस से बाहर हो रहा है। 100 रुपये किलो से कम कोई दाल नहीं है। तेल भी डेढ़ सौ रुपये प्रति लीटर है। चीनी 48 रुपये किलो हो गई है। महंगाई को लेकर राजनीतिक दल सिर्फ राजनीति करते आए हैं। 

दालों के भाव प्रतिकिलो रुपये में
मलका      100  
अरहर      180  
मूंग          130 
माश        140
राजमा     160  
चना       100 
तेल के भाव 
पी मार्क     150 
रिफाइंड    120 
चावल के रेट
परमल       45  
बासमती     100

19.50 लाख परिवार लेते हैं डिपुओं में सस्ता राशन
हिमाचल प्रदेश में साढ़े 19 लाख राशनकार्ड उपभोक्ता हैं। केंद्र और प्रदेश सरकार की ओर से हिमाचल के राशन डिपो में उपभोक्ताओं को सस्ता राशन दिया जा रहा है। आटा और चावल केंद्र सरकार मुहैया करा रही है। हर महीने प्रति राशनकार्ड पर 12 किलो आटा और 5 से 6 किलो चावल दिया जा रहा है। जबकि तीन किलो दालें, दो लीटर तेल, चीनी और एक किलो नमक प्रदेश सरकार उपभोक्ताओं को सब्सिडी पर दे रही है।

रसोई गैस सिलिंडर 900 रुपये में
हिमाचल में रसोई गैस सिलिंडर 900 रुपये है। पहले लोगों को बैंक खाते में ढाई से तीन सौ रुपये सब्सिडी आती थी अब ये बंद हो गई है। कइयों को 14 से 30 रुपये गैस सिलिंडर की सब्सिडी मिल रही है।

मकान बनाना भी मुश्किल
हिमाचल प्रदेश में महंगाई से मकान बनाना मुश्किल हो गया है। पांच साल पहले सरिया जहां 3,500 रुपये क्विंटल था, वहीं अब 6500-7000 क्विंटल है। एसीसी, अंबुजा और अल्ट्राटेक की बोरी भी 470 से 480 रुपये है। वहीं रेत 200 फुट 13000 और बजरी 200 फुट 12000 रुपये में मिल रही है। पांच साल पहले रेता 8000 और रोड़ी 7000 रुपये 200 फुट मिलती थी। हिमाचल में हजारों लोगों ने प्लॉट खरीद कर रखे हैं लेकिन महंगाई के चलते भवन बनाने मुश्किल हो गया है।

महंगाई नियंत्रित नहीं नहीं कर पाई सरकार
केंद्र सरकार महंगाई पर कंट्रोल नहीं कर पाई है। सिलेंडर के दाम आसमान छू रहे हैं। केंद्र में जब कांग्रेस की सरकारी थी उस समय भाजपा के नेता सिलेंडर लेकर धरना प्रदर्शन करते थे। उस समय सिलेंडर 400 रुपये था, आज सिलेंडर 900 रुपये हो गया है। रोजमर्रा की वस्तुओं में उछाल आया है।-जैनब चंदेल, अध्यक्ष महिला कांग्रेस हिमाचल

महंगाई के लिए भाजपा और कांग्रेस की सरकारें जिम्मेदार
हिमाचल में महंगाई के लिए भाजपा और कांग्रेस जिम्मेदार हैं। 10 सालों से महंगाई बढ़ रही है। राशन महंगा, बच्चों की पढ़ाई महंगी हो गई है। सब्सिडी के राशन में कटौती की गई है।-फालमा चौहान, अध्यक्ष जनवादी महिला समिति

मोदी सरकार में कम हुई महंगाई 
मोदी सरकार में महंगाई कम हुई है। यूपीए सरकार में जहां दालें 200 रुपए किलो थी और सरसों तेल ,चीनी, सब्जियों के दाम अधिक थे। आज दालें 100 से 120 रुपये के बीच है। 80 करोड़ लोगों को निशुल्क राशन दे रहे हैं। -वंदना योगी, अध्यक्ष भाजपा महिला मोर्चा 

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