20 सालों की अवधि में पार्टी ने अपनी सांगठनिक ताकत को तेजी से बढ़ाया और चुनावी रणनीति को धार देकर वोट प्रतिशत 69 फीसदी तक पहुंचाने में कामयाब रही।
हिमाचल की सियासी जमीन पर पिछले चार लोकसभा चुनावों में भाजपा ने लगभग 25 फीसदी वोटों का इजाफा कर लंबी छलांग लगाई। 20 सालों की अवधि में पार्टी ने अपनी सांगठनिक ताकत को तेजी से बढ़ाया और चुनावी रणनीति को धार देकर वोट प्रतिशत 69 फीसदी तक पहुंचाने में कामयाब रही। इसका सीधा असर कांग्रेस पर पड़ा। भाजपा कांग्रेस के वोटों पर लगभग 19 प्रतिशत की सेंध लगाने में कामयाब रही। 2004 में तीन सीटों पर कांग्रेस से शिकस्त खाने के बाद हिमाचल में भाजपा ने सांगठनिक ताकत बढ़ाने के साथ ही वोटों में इजाफा करने के प्रयास जमीनी स्तर पर आगे बढ़ाए।
परिणाम यह रहा कि 2004 में 44.24 फीसदी वोट पाने वाली भाजपा की झोली में 2009 में 5% अधिक वोट आए। भाजपा ने 2004 का बदला लेकर तीन लोकसभा सीटें अपने नाम कीं। इसके बाद भाजपा ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। 2014 और 2019 में हिमाचल में क्लीन स्वीप के साथ लंबी छलांग लगाते हुए अपने वोट प्रतिशत को 69 फीसदी के पार पहुंचा दिया। जानकारों का मानना है कि भाजपा की लंबी छलांग के पीछे प्रदेश में संगठन के लगातार विस्तार से बढ़ती ताकत और इसके जरिए सुनियोजित तरीके से हर चुनाव में कांग्रेस और अन्यों के वोट बैंक में सेंध है।
मोदी लहर ने भी काम किया। 2021 के मंडी उपचुनाव को छोड़ दें तो लगातार दो लोकसभा चुनाव में कांग्रेस भाजपा के हाथों मात खाने के बावजूद अपनी जड़ों को बचाए रखने में काफी हद तक कामयाब रही है। 20 सालों में भले ही कांग्रेस के मत प्रतिशत का ग्राफ लुढ़कता रहा है लेकिन, अभी भी 27 फीसदी मतदाता उसके साथ बने हैं। 2004 से 2014 तक कांग्रेस के वोट बैंक में चार से छह फीसदी की गिरावट हुई। 2019 में उसे 14 फीसदी की गिरावट का सबसे तगड़ा झटका लगा। चार आम चुनावों में मतदान के ट्रेंड को देखें तो भाजपा ने कांगड़ा-चंबा, मंडी और शिमला लोकसभा सीटों पर मतों में सर्वाधिक इजाफा कर वोट प्रतिशत बढ़ाया है।
अबकी 75 फीसदी से अधिक लक्ष्य
इस बार आम चुनाव में भाजपा 75 फीसदी पार के लक्ष्य को ध्यान में रख आगे बढ़ रही है। 2019 की तुलना में पार्टी का हिमाचल में 6 फीसदी से अधिक वोट बढ़ाने का इरादा है। लक्ष्य हासिल करने को भाजपा बूथ स्तर तक सक्रिय है। कांग्रेस के पारंपरिक वोट बैंक में और सेंध लगाने के लिए पूरी रणनीति के साथ काम हो रहा है। हर बूथ में मतों में इजाफा करने के लिए भाजपा सक्रिय हैं। कांग्रेस के जनाधार वाले नेताओं को पार्टी में शामिल कराने की दिशा में भी काम हो रहा है।
मोदी लहर में ज्यादा बढ़े थे वोट
मोदी लहर के दौरान भाजपा के वोट बैंक में बड़ा उछाल आया। पार्टी इस बार भी उन्हें फिर से प्रधानमंत्री बनाने के संकल्प के साथ चुनावी मैदान में है। चार लोस चुनाव के नतीजों को देखें तो साफ है कि 2004 में 44.24 फीसदी वोटों पर रही भाजपा 2014 तक 53.9 फीसदी तक ही पहुंच पाई। 2019 की मोदी लहर में पार्टी के वोटों में बंपर इजाफा हुआ और वोट प्रतिशत 69 फीसदी तक पहुंचा।
कई नेता ओढ़ चुके भगवा चोला
राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस की बगावत का सीधा फायदा भाजपा को मिला। बहुमत के जादुई आंकड़े से बेहद पीछे होने के बावजूद भाजपा पूर्व कांग्रेसी रहे हर्ष महाजन को राज्यसभा पहुंचाने में कामयाब रही। इसके बाद से प्रदेश की सियासत में उथल-पुथल का दौर जारी है और भाजपा अपना कुनबा लगातार बढ़ा रही है। कांग्रेस से बगावत कर अयोग्य ठहराए जा चुके छह विधायक और इस्तीफा दे चुके तीन निर्दलीय विधायक अब भाजपाई हो चुके हैं।
चुनावी जंग में भाजपा की ओर से दमखम दिखाने को मोर्चा संभाल चुके हैं। इन जनाधार वाले नेताओं के समर्थकों के भी बड़ी संख्या में भाजपा में शामिल होने का क्रम तेजी से आगे बढ़ रहा है। ठियोग से पूर्व प्रत्याशी रहीं इंदू वर्मा भी भाजपा में शामिल हो चुकी हैं। पार्टी का दावा है कि आने वाले दिनों में कुछ और विधायक व बड़े नेता भी भाजपा की सदस्यता लेंगे। पार्टी के थिंक टैंक का मानना है कि कांग्रेस के नेताओं के पार्टी में शामिल होने से 2024 में 75% के पार वोट हासिल करने का लक्ष्य प्राप्त करना आसान होगा।
भाजपा पूरी तरह से संगठन आधारित पार्टी है। संगठन ही उसकी ताकत है और इसी के दम पर हम इस बार 75% से अधिक वोट लेने में कामयाब होंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे और उनके नेतृत्व में केंद्र सरकार के कामकाज पर जनता का पक्का भरोसा बन चुका है। मतदाता पीएम मोदी को तीसरी बार देश की बागडोर सौंपने के लिए भाजपा को बढ़ चढ़कर वोट देंगे।
– त्रिलोक कपूर, प्रदेश महामंत्री भाजपा