देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू शिमला दौरे पर आ रही हैं। शिमला दौरे के दौरान गेयटी थियेटर भी जाएंगी। मुर्मू पहली राष्ट्रपति हैं जो जो गेयटी थियेटर जाएंगी। ब्रिटिश काल में जब शिमला समर कैपिटल थी। उस समय अंग्रेज शिमला को कल्चरल सेंटर बनाना चाहते थे, इसलिए उन्होंने गेयटी क्षेत्र का निर्माण करवाया था।
गेयटी थियेटर एक और ऐतिहासिक पल का साक्षी बनने जा रहा है। देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू शिमला दौरे के दौरान गेयटी थियेटर भी जाएंगी। मुर्मू पहली राष्ट्रपति हैं जो जो गेयटी थियेटर जाएंगी। सात अप्रैल को राष्ट्रपति माल रोड की सैर करेंगी। इसके बाद 6 बजे से गेयटी में समारोह में शामिल होंगी। इनके बैठने के लिए राजभवन से विशेष कुर्सी की भी व्यवस्था होगी। राष्ट्रपति करीब 45 मिनट गेयटी में रुकेंगी।
पूर्व राष्ट्रपति दिवंगत डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम भी 14 जुलाई 2012 को गेयटी थियेटर आए थे, लेकिन उस समय वह राष्ट्रपति नहीं थे। इसके अलावा 1950 में प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू, उनकी बहन विजय लक्ष्मी पंडित और बेटी इंदिरा गांधी यहां आईं थी। आजादी के बाद तीन साल तक गेयटी थियेटर बंद रहा। इसके बाद 1950 से 1970 के बीच की अवधि में गेयटी में कई नाटक हुए। यहां जेफ्री केंडल, रॉबर्ट बैडेन पॉवेल, पृथ्वीराज कपूर, मास्टर मैडम, बलराज साहनी, अनुपम खेप, मनोहर सहित कई फिल्म अभिनेता और निर्माता नाटकों का मंचन कर चुके हैं। थियेटर में रंग-रोगन का कार्य शुरू हो गया है।
विश्व के 6 थियेटरों में से शिमला का गेयटी देश में एकमात्र
ब्रिटिश काल में जब शिमला समर कैपिटल थी। उस समय अंग्रेज शिमला को कल्चरल सेंटर बनाना चाहते थे, इसलिए उन्होंने गेयटी क्षेत्र का निर्माण करवाया था। अब पूरे विश्व में इस तरह के केवल 6 ही थियेटर बचे हैं, जिनमें से एक शिमला का गेयटी थियेटर भी है। अंग्रेजी हुकूमत के समय गेयटी में भारतीयों के आने पर रोक थी। अब यह शिमला घूमने आ रहे पर्यटकों के लिए भी खुला रहता है।
1887 में बना है गेयटी थियेटर
गेयटी थियेटर को 1884 में ब्रिटिश आर्किटेक्ट हैनरी इरबिन ने थियेटर का काम शुरू किया। इसके लिए एक लाख रुपये का बजट रखा था, लेकिन तीन साल बाद 1887 में यह 3 लाख 23 हजार रुपये के बजट में बनकर तैयार हो गया। साल 2003 में साढ़े 10 करोड़ रुपये की लागत से इसका जीर्णोद्धार किया गया।