लोकसभा चुनाव और विधानसभा उपचुनाव में राजनीतिक दल महिला और युवा वोटरों को अपने-अपने पक्ष में करने के लिए जोर लगा रहे हैं।
हिमाचल में लोकसभा चुनाव और विधानसभा उपचुनाव में राजनीतिक दल महिला और युवा वोटरों को अपने-अपने पक्ष में करने के लिए जोर लगा रहे हैं। प्रदेश में दोनों श्रेणी वोटरों की संख्या 39 लाख के आसपास है। कांग्रेस ने जहां युवाओं को रिझाने के लिए को रोजगार, महिलाओं को हर महीने 1500-1500 रुपये देने को चुनावी मुद्दा बनाया है, वहीं भाजपा युवाओं को रोजगार न देने और महिलाओं को महिला सम्मान निधि योजना के नाम पर ठगी का आरोप लगा रही है।
राज्य निर्वाचन विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो हिमाचल प्रदेश में 56 लाख 38 हजार 422 मतदाता हैं। इनमें 27 लाख 59 हजार 187 महिला वोटर शामिल हैं। युवा वोटरों की संख्या 11 लाख के आसपास है। इनमें 1 लाख 38 हजार 918 युवा पहली बार लोकसभा चुनाव में मतदान करेंगे। प्रदेश के छह विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव होना है। इसमें भी संबंधित क्षेत्र के युवा मतदान करेंगे। युवा और महिला वोटरों की संख्या को देखते हुए राजनीतिक दल इन्हें रिझाने की कोशिश में लगे हैं।
इसके लिए छात्र संगठनों की मदद ली जा रही है। कांग्रेस के लिए एनएसयूआई के कार्यकर्ता पंचायतों में जाकर युवाओं को जोड़ने में लगे हैं। वहीं, भाजपा भी एबीवीपी को फील्ड में भेजकर युवाओं को जोड़ने में लगी है। वहीं दोनों दलों की महिला विंग भी अपने-अपने प्रत्याशियों को जीत दिलाने के लिए चुनाव के चलते प्रचार में डटा है। भाजपा ने चारों संसदीय क्षेत्रों में अपने प्रत्याशी उतार दिए हैं जबकि कांग्रेस पार्टी ने अभी तक शिमला और मंडी संसदीय क्षेत्र में प्रत्याशियों की घोषणा की है। इन दोनों संसदीय क्षेत्रों में चुनाव प्रचार सिर चढ़कर बोल रहा है।