धर्मशाला, बड़सर और लाहौल-स्पीति हलकों में उपचुनाव की जंग जोर पकड़ चुकी है लेकिन, सत्ताधारी पार्टी के चुनावी चेहरों पर छाई सियासी धुंध छंट नहीं पाई है।
भाजपा के मंसूबों पर पानी फेरने का मजबूत इरादा दिखाने वाली कांग्रेस प्रत्याशी चयन के मामले में कछुआ चाल से चल रही है। लंबे उहापोह के बाद रुक-रुक कर आगे बढ़ी कांग्रेस के कदम एक बार फिर उपचुनाव की तीन सीटों पर ठिठक गए हैं। धर्मशाला, बड़सर और लाहौल-स्पीति हलकों में उपचुनाव की जंग जोर पकड़ चुकी है लेकिन, सत्ताधारी पार्टी के चुनावी चेहरों पर छाई सियासी धुंध छंट नहीं पाई है।
दरअसल, भाजपा के बागियों की कांग्रेस में एंट्री के विरोध ने तीनों विधानसभा क्षेत्रों में होने वाले उपचुनाव के टिकट लटका दिए हैं। कांग्रेस के स्थानीय नेता लाहौल-स्पीति में रामलाल मारकंडा और धर्मशाला में राकेश चौधरी को टिकट देने के हक में नहीं हैं। पार्टी के भीतर चल रहे विरोध को शांत करने में प्रदेश नेतृत्व जुटा हुआ है।
अब 27 दिन बचे हैं मतदान के लिए
हिमाचल में एक जून को मतदान होना है। इस हिसाब से चुनावी जंग के लिए अब 27 दिन ही भाजपा और कांग्रेस के हाथ में हैं। प्रदेश में लोकसभा की चार सीटों में से मंडी और शिमला के लिए काफी पहले टिकट की घोषणा कर चुकी कांग्रेस ने कांगड़ा और हमीरपुर संसदीय क्षेत्रों के लिए 30 अप्रैल को प्रत्याशी घोषित किए।
उपचुनाव की बात करें तो 26 अप्रैल को सुजानपुर, गगरेट और कुटलैहड़ हलकों में प्रत्याशी मैदान में उतारने के बाद कांग्रेस के कदम फिर ठहर गए हैं। तीन अन्य सीटों पर आज-कल घोषणा हो जाने की संभावनाओं के बीच प्रत्याशियों का इंतजार लगातार बढ़ रहा है। शुक्रवार को भी संभावनाओं व उम्मीदों के बावजूद धर्मशाला, बड़सर व लाहौल स्पीति हलकों से पार्टी के चुनावी प्रत्याशियों का ऐलान नहीं हो पाया।
तीनों विधानसभा क्षेत्र से ये नेता हैं टिकट की में
कांगड़ा जिले के धर्मशाला में पूर्व मेयर देवेंद्र जग्गी, रजनीश पाधा, शैलजा कटोच, विजय इंद्र कर्ण और भाजपा के पूर्व प्रत्याशी राकेश चौधरी टिकट की दौड़ में हैं। मुख्यमंत्री खुद 21 अप्रैल को धर्मशाला में डेरा डालकर होमवर्क पूरा कर चुके हैं। बड़सर में पूर्व विधायक मंजीत डोगरा, कृष्ण चौधरी, रूबल ठाकुर और राजेश बन्याल दावेदारों में शामिल हैं।
शुक्रवार को भाजपा में शामिल होने के बाद 2022 में आजाद चुनाव लड़ चुके संजीव शर्मा खुद ही दौड़ से बाहर हो गए हैं। उधर, शीत मरुस्थल लाहौल-स्पीति पूर्व विधायक रघुवीर सिंह ठाकुर, जिप अध्यक्ष अनुराधा राणा, प्रदेश सचिव प्यारे लाल शर्मा और कुंगा बौद्ध दौड़ में हैं। टिकट कटने से नाराज पूर्व मंत्री डॉ रामलाल मारकंडा भी कांग्रेस के संपर्क में हैं।
धर्मशाला-लाहाैल स्पीति में विकल्प के बावजूद उलझी पार्टी
बड़सर में संजीव शर्मा की घर वापसी के बाद अब कांग्रेस में भाजपा पृष्ठभूमि वाले संभावित नाम का विकल्प नहीं बचा है। धर्मशाला और लाहौल-स्पीति में मजबूत विकल्प मौजूद होने के कारण कांग्रेस अपनों और बाहरी के फेर में उलझ गई है। धर्मशाला में 2022 के भाजपा प्रत्याशी राकेश चौधरी मुख्यमंत्री से मुलाकात भी कर चुके हैं और कांग्रेस के अंग-संग चलते दिख रहे हैं। तमाम अटकलों के बावजूद शीत मरुस्थल में डॉ रामलाल मारकंडा कांग्रेस के संभावित नामों में अभी बने हुए हैं। \
गगरेट में पूर्व विधायक राकेश कालिया और सुजानपुर में पूर्व प्रत्याशी कैप्टन रणजीत राणा को टिकट थमाने के बाद अब पार्टी बाहरी दावेदार को गले लगाने से पहले दस बार सोच रही है। मुख्यमंत्री स्वयं भी अब अदला-बदली को तव्वजो देने के मूड में नहीं बताए जा रहे हैं। प्रदेश कांग्रेस का एक तबका डॉ. मारकंडा पर सहमत है। इसे देखते हुए मारकंडा कांग्रेस का चुनावी चेहरा बनकर सामने आ जाएं तो हैरानी की बात नहीं होगी।
विधानसभा उपचुनाव के लिए प्रत्याशियों की घोषणा जल्द कर दी जाएगी। पार्टी हर समीकरण पर मंथन कर रही है। भाजपा ने षड्यंत्र रचकर कांग्रेस की सरकार को गिराने का असफल प्रयास किया है। उपचुनाव भाजपा की देन है। कांग्रेस के बागी और दागी विधायकों ने जनमत का अपमान किया है। इन्हें सबक सिखाने के लिए कांग्रेस मजबूत प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में उताकर चारों खाने चित्त करेगी।