उपचुनाव में भाजपा की हार को भी अनुराग की ताजपोशी की राह में रोड़ा माना जा रहा है जबकि दो बार बतौर मंत्री उनकी परफार्मेंस बढ़िया रही है।
हमीरपुर से लगातार पांच बार चुनाव जीतने का रिकॉर्ड बनाकर एक बार फिर से सांसद बने अनुराग ठाकुर को केंद्रीय मंत्री पद न मिलने के पीछे एक कारण इस संसदीय क्षेत्र में चार में से तीन विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे भी हैं, ऐसी चर्चा है। उपचुनाव में भाजपा की हार को भी अनुराग की ताजपोशी की राह में रोड़ा माना जा रहा है जबकि दो बार बतौर मंत्री उनकी परफार्मेंस बढ़िया रही है। हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में लोकसभा चुनाव के साथ चार विधानसभा सीटों पर भी उपचुनाव हुए, मगर भाजपा तीन सीटें हार गई, जिससे वह अपने दूसरे लक्ष्य से चूक गईं। दूसरी ओर अनुराग ठाकुर खुद बड़े अंतर यानी 1,82,397 मतों की लीड लेकर चुनाव जीते हैं।
उपचुनाव में जिन तीन विधानसभा सीटों पर भाजपा की हार हुई है, उन हलकों से लोकसभा चुनाव में अनुराग को अच्छी लीड मिली है। यानी वोट भाजपा को नहीं, कैंडीडेट्स को पड़े। भाजपा के भीतर ही सुगबुगाहट है कि अगर अनुराग को मिले सभी वोट भाजपा को मिले होते तो इस संसदीय सीट के तहत आने वाले जिन चार विस क्षेत्रों में उपचुनाव हुए, उन सभी में भाजपा जीतती। सुजानपुर हलके में तो अनुराग की सर्वाधिक 23,853 मतों के अंतर से जीत है, जबकि यहां से विधानसभा उपचुनाव में भाजपा के राजेंद्र राणा की 2,440 मतों से हार हुई। गगरेट से अनुराग की 10,944 और कुटलैहड़ से 7,819 वोटों की लीड रही जबकि विधानसभा उपचुनाव में गगरेट में भाजपा 8,487 और कुटलैहड़ में 5356 मतों से हार गई।
शीर्ष नेतृत्व तक बात पहुंचाने की चर्चा
सुजानपुर से भाजपा प्रत्याशी राजेंद्र राणा ने बतौर कांग्रेस उम्मीदवार 2017 के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री चेहरे प्रेम कुमार धूमल को हराकर हिमाचल में भाजपा की सियासत में एक भूचाल लाया था, जिससे धूमल के राजनीतिक भविष्य की धारा थम सी गई थी। हालांकि उनके बेटे अनुराग ठाकुर केंद्रीय मंत्री के पद पर पहुंचे। सियासत के जानकारों के अनुसार इस बार सुजानपुर में ऊंट पहाड़ के नीचे आने की स्थिति बनी। कहा जा रहा है कि भाजपा के शीर्ष नेतृत्व तक भी यह बात पहुंचाई गई है कि इन विस क्षेत्रों में कांग्रेस कैसे विधानसभा उपचुनाव में आगे हो गई जबकि लोकसभा चुनाव में हार गई।
हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस केवल उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री के हरोली विधानसभा हलके में ही महज 1535 मतों की लीड ले पाई। ऊना से लोकसभा के कांग्रेस प्रत्याशी रहे सतपाल रायजादा के अपने विधानसभा क्षेत्र से भी भाजपा की 425 मतों के अंतर से जीत हुई। दूसरे पक्ष की दलील है कि उपचुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों की अपनी कमियां भी रहीं और अलग-अलग मुद्दे भी।
वीरभद्र, आनंद एक साथ रह चुके मंत्री
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा को मंत्री बनाए जाने के कारण अनुराग को ड्रॉप करने के तर्क से अंदरखाते कई भाजपाई ही पूरे सहमत नहीं हैं। उनका कहना है कि बेशक हिमाचल छोटा राज्य है, चार ही लोकसभा सीटें हैं, लेकिन इससे पहले भी हिमाचल को केंद्रीय राजनीति में काफी महत्व मिलता रहा है। कांग्रेस के समय में वीरभद्र सिंह व आनंद शर्मा दोनों मंत्री रह चुके हैं। नड्डा भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव थे, तो तब अनुराग भाजयुमो के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं। अब यह उम्मीद है कि उन्हें संगठन में जिम्मेदारी मिलती है या फिर कभी भविष्य में होने वाले मंत्रिमंडल विस्तार में जगह मिलती है। लेकिन काफी बड़ा मंत्रिमंडल पहले ही बन जाने के कारण विस्तार की संभावनाएं सीमित हैं। नतीजों में विरोधाभास ने कई सवाल पैदा कर दिए हैं। आगे तीन और विधानसभा उपचुनाव में से दो अनुराग के ही संसदीय क्षेत्र में होने जा रहे हैं तो प्रदेश नेतृत्व के साथ-साथ उनकी भी एक और परीक्षा हो सकती है।