बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा ने कहा कि मेरे सपनों में स्पष्ट है कि मैं 100 साल से अधिक जिऊंगा। मेरे कंधों पर जो देव विराजमान हैं वे भी यही कहते हैं।
तिब्बती बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा ने कहा कि मेरे सपनों में स्पष्ट है कि मैं 100 साल से अधिक जिऊंगा। मेरे कंधों पर जो देव विराजमान हैं वे भी यही कहते हैं। दलाई लामा ने यह बात मुख्य तिब्बती बौद्ध विहार मैक्लोडगंज में भारत में केंद्रीय तिब्बती प्रशासन (सीटीए), मेंचीखांग के पूर्व कर्मचारियों और पूर्व सुरक्षा कर्मियों की ओर से उनकी दीर्घायु के लिए आयोजित प्रार्थना सभा के दौरान कही। दलाई लामा ने कहा कि मेरे तिब्बती साथी जो इस समय कठिन दौर से गुजर रहे हैं उनकी प्रार्थनाओं की वजह से मैं स्वस्थ हूं। बौद्ध धर्म के दर्शन के लिए काफी हद तक काम किया और आगे भी करता रहूंगा।
बुद्ध के संकेत हैं कि मैं 100 वर्ष से अधिक वर्षों तक रहूंगा, इसलिए आप सभी खुशी से रहें। प्रार्थना सभा में आए लोगों से दलाई लामा ने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण बात है कि हम सभी भगवान बुद्ध के शिष्य हैं। उन्होंने हमेशा बौद्ध चित्त और शून्यता का अभ्यास किया है। इसलिए जितना हो सके बौद्ध चित्त और शून्यता का अभ्यास करते रहें। इससे लाभ मिलता है। दलाई लामा ने कहा कि मैं रोजाना इसका अभ्यास करता हूं। हमारी प्रार्थना में भी इसका अभ्यास प्रमुख होता है। पुण्य और जनहित के कार्यों के लिए भी यह जरूरी है। आज लोग बौद्ध धर्म के प्रति ज्यादा रुचि दिखा रहे हैं। दलाई लामा ने अनुयायियों से कहा कि आज आपने जो प्रार्थना की है इसमें काफी श्रद्धा थी। जब हम प्रार्थना करते हैं तो उस समय पैसे चढ़ाने से अच्छा है कि शून्यता का अभ्यास करें।