# लिंडूर गांव में 14 मकान धंसने की कगार पर…

 हिमाचल में बरसात का दौर शुरू हो गया है और बीते साल हुई तबाही के मंजर को याद कर आज भी लोग सिहर जाते हैं। ऐसे में इस साल बरसात के चलते कई जगह नुकसान भी हुआ है और कई लोग बीते साल हुए नुकसान की भरपाई भी नहीं कर पाए हैं। वहीं एक गांव ऐसा भी है, जो बीते साल बारिश के चलते धंसने की कगार पर पहुंच गया और यह तबाही का दौर अभी भी जारी है। हालांकि ग्रामीणों ने शासन व प्रशासन के समक्ष अपनी समस्या को रखा, लेकिन आज तक समस्या का कोई समाधान नहीं निकल पाया है। यह गांव है जनजातीय जिला लाहौल स्पीति का लिंडूर गांव।


उपमंडल उदयपुर में जाहलमा पंचायत के तहत लिंडूर गांव आता है। बीते साल लाहौल घाटी में भारी बारिश होने के चलते पूरे गांव की जमीनों में भारी दरारें आ गई। वहीं गांव में बने सभी मकानों में भी दरारें आ गई। बीते साल प्रशासन द्वारा सभी ग्रामीणों को सामुदायिक भवन में ठहराया गया, लेकिन बरसात का मौसम थमने के बाद ग्रामीण वापस अपने घरों में आ गए। अब दरारें फिर से बढ़ रही हैं और ग्रामीणों को डर है कि उनके 14 घरों के साथ-साथ उनकी 200 बीघा से अधिक उपजाऊ जमीन कभी भी धंस सकती है, जिससे उन्हें करोड़ों रुपए का नुकसान उठाना पड़ेगा।


ग्रामीणों का कहना है कि बीते साल भारी बारिश के चलते लिंडूर गांव में दरारें आ गई। प्रशासन द्वारा उन्हें एक लाख रुपए राहत राशि तो दी गई, लेकिन इन दरारों को रोकने का कोई स्थाई समाधान आज तक नहीं निकल पाया है। ग्रामीणों का कहना है कि इस समस्या को लेकर वह प्रशासन से लेकर मुख्यमंत्री तक मिले और सरकार द्वारा एक कमेटी भी यहां भेजी गई, लेकिन अभी तक इस गांव को बचाने की दिशा में कोई भी ठोस कदम नहीं उठाया गया है। ऐसे में ग्रामीणों के जो 14 मकान हैं, वह कभी भी गिर सकते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि इस साल भी उनके द्वारा अपने खेतों में फसल की बिजाई की गई है, लेकिन खेतों में दरारें होने के चलते हुए फसलों की सिंचाई भी नहीं कर पा रहे हैं। क्योंकि सिंचाई के दौरान इन दरारों के बढ़ने का भी खतरा बना हुआ है। अब सरकार को चाहिए कि वह इस दिशा में जल्द से जल्द कदम उठाए, ताकि ग्रामीण सुरक्षित अपने गांव में रह सके।


गौर रहे कि साल 2023 में हुई भारी बारिश के चलते लिंडूर गांव की पहाड़ी में बड़ी-बड़ी दरारें आ गई और यह दरारें लोगों के खेतों से होते हुए घरों में भी घुस गई, जिससे घर गिरने की कगार पर पहुंच गए हैं। हालांकि प्रदेश सरकार द्वारा उस दौरान भू-सर्वेक्षण विभाग की टीम को गांव में भेजा गया और उनके द्वारा एक रिपोर्ट तैयार कर डीसी लाहौल स्पीति को भी सौंपी गई। रिपोर्ट में बताया गया कि गांव के ऊपर नाले बह रहे हैं और उन नालों में बहने वाले पानी के हिसाब के चलते गांव में बड़ी-बड़ी दरारें आ गई है। इसके अलावा गांव के एक किनारे पर जाहलमा नाला भी बहता है। जो लगातार भूमि कटाव कर रहा है। उससे भी गांव को खतरा बना हुआ है। ऐसे में कमेटी द्वारा सुझाव दिया गया था कि गांव के ऊपर बहने वाले नाले के पानी को पाइपों के माध्यम से लाया जाए और नाले के किनारे तटीकरण किया जाए। लेकिन एक साल बीतने के बाद भी यह प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई है।


वहीं डीसी लाहौल स्पीति राहुल कुमार ने बताया कि भू-सर्वेक्षण की टीम द्वारा जो सुझाव दिए गए हैं, वह प्रदेश सरकार को भेजे गए हैं। इसके तहत जाहलमा नाले में अब तटीकरण का काम शुरू किया जाएगा और उसके लिए बजट का प्रावधान भी कर दिया गया है। इसके अलावा गांव के ऊपर बह रहे नाले के पानी को भी सुचारु किया जाएगा और खेतों में सिंचाई के लिए स्प्रिंकलर की व्यवस्था भी प्रशासन द्वारा की जा रही है, ताकि खेतों में पड़ी दरारें बढ़ न सकें। वहीं प्रशासन द्वारा इस परिस्थिति से सरकार को भी अवगत करवाया गया है और सरकार द्वारा जो निर्देश जारी किए जाएंगे, उसके तहत ग्रामीणों को सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी।

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