हिमाचल प्रदेश में किसानों द्वारा मशरूम फार्मिंग कर लाखों का मुनाफा कमाया जा रहा है। इनमें मुख्य रूप से बटन और ढींगरी मशरूम का उत्पादन शामिल है, लेकिन मशरूम फार्मिंग को आगे बढ़ाते हुए मंडी जिला के विकास खंड बल्ह के घट्टा गांव के प्रगतिशील किसान खेमचंद ने गेनोडर्मा या ऋषि मशरूम को उगाने में सफलता हासिल की है। गौरतलब है कि प्रगतिशील किसान खेमचंद कृषि विभाग से सेवानिवृत होने के बाद लगभग 6 वर्षों से मशरूम खासतौर पर बटन व ढींगरी मशरूम की खेती कर रहे हैं।
उन्होंने अपने फार्म पर हाई टेक मशरूम हाउस की स्थापना की है, जिसमें वे मशरूम की खेती करते हैं। इसके अलावा उन्होंने मशरूम कंपोस्ट व स्पॉन उत्पादन यूनिट भी लगा रखा है, जिससे वे अन्य किसानों को मशरूम की कंपोस्ट व स्पॉन प्रदान करते हैं। उन्होंने अब गेनोडर्मा मशरूम को सफलतापूर्वक उगाकर एक बड़ी कामयाबी हासिल की है। उन्होंने इस मशरूम के 320 बैग रखे हुए हैं, जिनसे अब पैदावार निकलना शुरू हो गई है।
कृषि विज्ञान केंद्र मंडी के सीनियर साइंटिस्ट डॉ. पंकज सूद ने कहा कि गेनोडर्मा मशरूम एक औषधीय मशरूम है, जिसे जीवाणु रहित लकड़ी के बुरादे पर स्पॉनिंग करके उगाया जाता हैै। इस मशरूम की स्पॉनिंग की अवधि 25 से 30 दिन होती है। फसल के लिए उचित तापमान 30 से 32 डिग्री सेल्सियस, 80 से 85 प्रतिशत आर्द्रता, प्रकाश और वेंटिलेशन की आवश्यकता होती है। मशरूम की कटाई 2 से 3 फ्लश में की जा सकती है है। इस मशरूम का संपूर्ण फसल चक्र 120 से 150 दिनों का होता है। पंकज सूद ने बताया कि गेनोडर्मा मशरूम लकड़ी जैसा होता है, इसलिए इसे सुखाकर कई महीनों तक संग्रहित कर पाउडर के रूप में बेचा जा सकता है।
डॉ. पंकज सूद ने कहा कि गैनोडर्मा मशरूम में मेडिसिनल गुण ज्यादा पाए जाते हैं। न्यूट्रिशनल कंपोनेंट के साथ मिनरल, विटामिन और कई प्रकार के अमीनो एसिड मौजूद हैं। इससे हृदय संबंधी समस्याओं, ल्यूकेमिया, ल्यूकोपेनिया, हेपेटाइटिस, नेफ्राइटिस, गैस्ट्राइटिस, अनिद्रा, कैंसर, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, रक्त शर्करा और उच्च रक्तचाप से पीड़ित रोगियों के लिए और कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए अति लाभकारी होता है। इस मशरूम में एंटीऑक्सीडेंट की मात्रा अधिक होने के कारण इसे एंटी एजिंग मशरूम के रूप में भी जाना जाता है।