हिमाचल प्रदेश में यूनिवर्सल कार्टन का असर अब सेब मंडियों पर पड़ने लगा है। परवाणू से लगते हरियाणा के पिंजौर में सेब का व्यापार शुरू होते ही हिमाचल के ज्यादातर बागवानों ने वहां का रुख करना शुरू कर दिया है। परवाणू सेब मंडी में जहां अब रोजाना मात्र 2000 के करीब सेब पेटियां पहुंच रही हैं, वहीं पिंजौर में रोजाना 10 से 15 हजार सेब पेटियां जा रही हैं। परवाणू में लगातार कारोबार काम कम होता जा रहा है। इससे परवाणू सेब मंडी में कारोबारी और आढ़ती परेशान हैं। अब वे यहां से पलायन करने की तैयारी कर रहे हैं।
परवाणू सेब मंडी एसोसिएशन के सचिव हनी राठौर ने बताया कि हिमाचल सरकार का प्रदेश में यूनिवर्सल कार्टन में सेब बेचने का हिमाचल कि सेब मंडियों में भारी असर पड़ा है। बागवान पुराने टेलीस्कोपिक कार्टन में सेब लेकर पिंजौर की सेब मंडी पहुंच रहे हैं। यहां उनको टेलीस्कोपिक कार्टन में सेब बेचने में रोक नहीं हैं। उन्होंने कहा कि यूनिवर्सल कार्टन देश की सभी मंडियों में लागू होना चाहिए, क्योंकि यह आदेश सिर्फ हिमाचल में लागू हैं। इससे हिमाचल के किसान यूनिवर्सल की पैकिंग से हो रहे नुकसान से बचने से माल पिंजौर मंडी ले जा रहे हैं।
पिंजौर और परवाणू मंडी में अंतर
पिंजौर सेब मंडी में मार्केट फीस मात्र .5 प्रतिशत ली जा रही है, जबकि परवाणू में 1 प्रतिशत है। परवाणू सेब मंडी में बाहर से आए किसानों, आढ़तियों और सेब व्यापारियों के लिए खाने का प्रबंध नहीं हैं। यहां पर ढाबों में खाना खाने के लिए जाना पड़ता है जबकि पिंजौर मंडी में मार्केट कमेटी ने कैंटीन चलाई है। इसमें लोगों को 10 रुपये में भरपेट खाना मिल रहा है। इसके अलावा वहां पर टेलीस्कोपिक कार्टन पर रोक नहीं है, जबकि परवाणू में यूनिवर्सल कार्टन ही चल रहा है
‘बागवानों के पास पड़ा है टेलीस्कोपिक कार्टन’
परवाणू मार्किट कमेटी के प्रभारी राजेश कुमार ने बताया कि अभी परवाणू सेब मंडी में कारोबार धीमा चल रहा है। परवाणू सेब मंडी में लगभग 15 अगस्त के बाद कारोबार रफ्तार पकड़ता है। बागवानों के पास पिछले साल का टेलीस्कोपिक कार्टन बचा है। उसके नुकसान से बचने के लिए किसान अपना माल ज्यादातर टेलीस्कोपिक कार्टन में बाहर की मंडियों में ले जा रहे हैं।