हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार फिजूलखर्ची रोकने की दिशा में कड़े कदम उठाने जा रही है। सरकारी विभागों में अधिकारियों और कर्मचारियों का युक्तिकरण किया जाएगा। राज्य सरकार सरकारी गाड़ियों के पेट्रोल खर्च कम करेगी। आमदनी बढ़ाने और फिजूलखर्ची पर अंकुश लगाने के लिए उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री की अगुवाई में रिसो मोबिलाइजेशन कमेटी की एक महत्वपूर्ण बैठक हुई। कैबिनेट सब कमेटी के सुझाव राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में चर्चा के लिए जाएंगे।
इस बैठक में प्रदेश की आर्थिक स्थिति पर चर्चा की गई। राज्य में हर नागरिक पर 1.16 लाख रुपये से अधिक का कर्ज होने पर चिंता जताई गई। अरुणाचल प्रदेश के बाद इसमें चिंता व्यक्त की गई कि कर्ज का ब्याज चुकाने के लिए भी कर्ज लेना पड़ रहा है। मंत्रिमंडलीय उप समिति केंद्र से राजस्व घाटा अनुदान कम होने पर भी चिंतित हुई कि राज्य में जितना राजस्व इकट्ठा हो रहा है, वह देनदारियां चुकाने में ही खत्म हो रहा है।
कैबिनेट सब कमेटी के सदस्य और मंत्री राजेश धर्माणी ने कहा कि बजट का बड़ा हिस्सा लोन की किस्तों और ब्याज चुकाने में ही जा रहा है। अरुणाचल के बाद हिमाचल सबसे कर्जदार प्रदेश है। आर्थिक स्थिति अच्छी करने के लिए सख्त निर्णय लेने पड़ रहे हैं। निशुल्क सेवाओं में भी कटौती की जा रही है। सरकार का स्ट्रक्चर पिरामिड की तरह होना चाहिए था, पर यह इन्वर्टेड पिरामिड की तरह बन चुका है। सरकारी विभागों में अफसरों का युक्तिकरण समय की जरूरत है।
वर्ष 2006 से 2022 के बीच श्रेणी एक के राजपत्रित अधिकारियों की संख्या में 62 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। इस वर्ग के अधिकारियों को कम कर फील्ड और निचले स्टाफ को बढ़ाने पर ध्यान देंगे।मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री की अध्यक्षता में रिसोर्स मोबिलाइजेशन सब-कमेटी गठित की है। इसमें मुकेश अग्निहोत्री के अलावा कृषि मंत्री चंद्र कुमार, उद्योग मंत्री हर्षवर्धन
चौहान और नगर नियोजन मंत्री राजेश धर्माणी सदस्य हैं।
राजस्व घाटा अनुदान और जीएसटी प्रतिपूर्ति कम कर दी
उप समिति ने चिंता व्यक्त की कि राज्य पर 80 हजार करोड़ रुपये का ज्यादा का कर्ज था। 31 मार्च 2023 तक यह 86,589 करोड़ हो गया था। 10 हजार करोड़ रुपये की कर्मचारियों की देनदारियां लंबित हैं। 14वें वित्त आयोग से हिमाचल को 40624 करोड़ रुपए मिले थे। 15वें वित्त आयोग में 37199 करोड़ कर दिए। साल 2021-22 में यह ग्रांट 10249 करोड़ थी और अब यह 2025-26 में 3257 करोड़ रुपये हो जाएगी।