राष्ट्रपिता महात्मा गांधी आठ बार नहीं, दस बार शिमला आए थे। सुक्खू सरकार और प्रशासन ने दो दशक पुरानी गलती को दुरुस्त कर शिमला के रिज मैदान पर लगीं पट्टिकाओं को हटाकर नई लगा दी हैं। राज्य सरकार के निर्देश पर अब नगर निगम शिमला ने यह कदम उठाया है।
रिज मैदान पर महात्मा गांधी की प्रतिमा के साथ दोनों पट्टिकाओं में गलत ऐतिहासिक तथ्य को सबसे पहले महात्मा गांधी की शिमला यात्राओं पर पुस्तक ‘गांधी इन शिमला’ लिखने वाले इतिहासकार विनोद भारद्वाज ने उजागर किया था। अमर उजाला ने इस पर एक खबर 19 अक्तूबर 2021 को प्रमुखता से प्रकाशित की थी। पुरानी पट्टिकाओं से शिमला आने-वाले पर्यटकों को गलत सूचना मिल रही थी। 2021 में विनोद भारद्वाज ने तत्कालीन मुख्य सचिव रामसुभग सिंह को पत्र लिख इस मामले को भाजपा सरकार के समक्ष भी उठाया था। हाल ही में इस पर साहित्यकार श्रीनिवास जोशी ने भी फिर से एक चिट्ठी मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना को लिख सही तथ्य लिखने का अनुरोध किया। विनोद ने भी फिर से कांग्रेस सरकार के समक्ष यह मामला उठाया।
मुख्य सचिव ने नगर निगम आयुक्त को उचित कदम उठाने के निर्देश दिए तो आयुक्त भूपेंद्र अत्री ने राज्य भाषा एवं संस्कृति विभाग के निदेशक डॉ. पंकज ललित से ऐतिहासिक तथ्यों की जांच-पड़ताल करने का आग्रह किया। विभाग ने अध्ययन के बाद पाया कि यह सही है कि वर्ष 1939 में भी महात्मा गांधी दो बार शिमला आए थे। वर्ष 1939 की दोनों ही यात्राओं का जिक्र पुरानी पट्टिकाओं में नहीं है। अब दोनों नई पट्टिकाओं में इन दोनों ही तिथियों को जोड़ दिया गया है। डॉ. विनोद ने बताया कि 1939 में महात्मा गांधी दो बार 4 सितंबर से 5 सितंबर और 26 सितंबर से 27 सितंबर तक द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान वायसरॉय से मिलने शिमला आए थे।
कब-कब शिमला आए महात्मा गांधी
12 मई 1921 से 17 मई 1921
13 मई 1931 से 17 मई 1931
15 जुलाई 1931 से 22 जुलाई 1931
25 अगस्त 1931 से 27 अगस्त 1931
4 सितंबर 1939 से 5 सितंबर 1939
26 सितंबर 1939 से 27 सितंबर 1939
29 जून 1940
27 सितंबर 1940 से 30 सितंबर 1940
24 जून 1945 से 16 जुलाई 1945
2 मई 1946 से 14 मई 1946
रामसुभग सिंह ने दिए थे निर्देश
वर्ष 2022 में तत्कालीन मुख्य सचिव रामसुभग सिंह ने ही इस तथ्य को दुरुस्त करने के निर्देश दिए थे। राज्य भाषा एवं संस्कृति विभाग ने उस समय भी नगर निगम को इस संबंध में उचित कदम उठाने को कहा था। हाल ही में साहित्यकार श्रीनिवास जोशी और इतिहासकार विनोद भारद्वाज ने फिर एक बार सरकार से यह मामला उठाया है। वर्तमान मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने भी इस पर उपयुक्त कदम उठाने को कहा। उसके बाद निगम को तथ्य बताए गए। अब पुरानी पट्टिकाएं हटाकर नई लगाई गई हैं- डॉ. पंकज ललित, निदेशक, राज्य भाषा एवं संस्कृति विभाग