पेंशनरों की दोटूक, पहली तारीख को पेंशन नहीं दी तो होगा आमरण अनशन…

himachal Pensioners said if pension is not given on the first date then there will be hunger strike

हिमाचल प्रदेश पेंशनर्स वेलफेयर एसोसिएशन ने चेतावनी दी है कि अगर महीने की पहली तारीख को पेंशन का भुगतान सुनिश्चित नहीं किया गया तो पेंशनर आमरण अनशन से पीछे नहीं हटेंगे। शिमला शहरी इकाई की बैठक कालीबाड़ी हॉल में हुई। इस दौरान कई मुद्दों पर चर्चा की गई। बैठक की अध्यक्षता प्रदेशाध्यक्ष आत्माराम ने की। बैठक में लगभग 300 पेंशनरों ने भाग लिया और समस्याओं पर चर्चा की। शहरी इकाई के महासचिव सुभाष वर्मा ने बैठक के दौरान बताया कि प्रदेश सरकार के रवैये से पेंशनरों में रोष है।

उन्होंने कहा कि वर्ष 2016 से लंबित पेंशन संशोधन की राशि अब तक जारी नहीं की गई है, जबकि अगला वेतन आयोग 2026 में आना है। इस बीच कई बुजुर्ग पेंशनर दिवंगत हो चुके हैं लेकिन उनकी पेंशन संबंधी समस्या का निदान आज तक नहीं पाया। वर्मा ने कहा कि पेंशन कोई दान नहीं है, यह उनकी मेहनत से अर्जित अधिकार है। पेंशनरों का इस राशि पर पूरा हक है। जिससे वह परिवार का पोषण करते हैं। बैठक में महंगाई से त्रस्त पेंशनरों ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि महंगाई भत्ते की तीन किस्तें अभी तक जारी नहीं की गई हैं। 12 प्रतिशत की बढ़ोतरी पेंडिंग है। 

वहीं, गंभीर बीमारियों से जूझ रहे पेंशनरों के चिकित्सा बिलों का भुगतान भी पिछले एक साल से लंबित है। इससे समस्या और बढ़ गई है। ज्यादातर वक्ताओं ने प्रदेश सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए। निर्णय लिया गया कि 20 सितंबर को प्रदेशभर में जिला मुख्यालयों पर पेंशनर धरना-प्रदर्शन करेंगे। पेंशनरों ने मांग की कि सरकार लंबित मांगों पर ध्यान दे और संयुक्त सलाहकार समिति का गठन कर सभी मुद्दों को सुलझाए। पेंशनरों ने कहा कि इससे पहले भी कई सरकारों ने वार्ता कर पेंशनरों की समस्याओं को सुलझाया है। बैठक में मोहन ठाकुर, पीएन भारद्वाज, मदन, हरिचंद गुप्ता, जीवन, भूपराम, कुशाल गुप्ता, सुभाष वर्मा और गुलाब सिंह मौजूद रहे।

व्यावसायिक शिक्षकों ने हरियाणा की तर्ज पर मांगी नीति
व्यावसायिक शिक्षक संघ ने हरियाणा की तर्ज पर नीति बनाने की मांग की है। संघ के प्रधान अश्वनी डटवालिया और राज्य महासचिव नीरज बंसल ने कहा कि व्यावसायिक शिक्षक काफी लंबे समय से प्रदेश के विभिन्न स्कूलों में सेवाएं दे रहे हैं। लाखों बच्चों को हर वर्ष कुशल कर रोजगार के नए अवसर प्रदान कर रहे हैं। नई शिक्षा नीति में भी व्यावसायिक शिक्षा को तरजीह दी गई है। बावजूद व्यावसायिक शिक्षक कंपनियों के अधीन काम करने को मजबूर हैं। शिक्षा विभाग के अधिकारी पूर्व सरकार के समय से हरियाणा की नीति का अध्ययन कर रहे हैं लेकिन अभी तक कोई सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आया है। 

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