पीडब्ल्यूडी के मल्टी टास्क वर्कर दफ्तरों में बने बाबू, जानें पूरा मामला

हिमाचल प्रदेश में हर काम के लिए रखे मल्टी टास्क वर्कर दफ्तरों के बाबू ही बन गए हैं। ये फील्ड में काम के लिए ज्यादा वक्त नहीं निकाल पा रहे हैं। इससे सड़काें, भवनों आदि के निर्माण कार्यों में उनकी मदद नहीं मिल पा रही है। वजह यह है कि कार्यालयों के कार्यों के लिए लोक निर्माण विभाग के पास पर्याप्त स्टाफ नहीं है। ऐसे में इनसे चाय बनाने से लेकर कंप्यूटर ऑपरेटर तक का काम लिया जाने लगा है।

फील्ड के काम के लिए कम समय निकाल पाने की एक शिकायत मुख्यमंत्री कार्यालय में भी पहुंची है। इसमें कोटखाई और दूसरे मंडलों के उदाहरण दिए गए हैं। इस पर लोक निर्माण विभाग से वस्तुस्थिति पर रिपोर्ट तलब करने की तैयारी है। प्रदेश में लोक निर्माण विभाग के हर मंडल में स्टाफ की कमी है। कई अधिकारियों और कर्मचारियों के पास दो-दो मंडलों का भी काम है या फिर एक से अधिक उपमंडलों या अनुभागाें में नियुक्ति दी गई है। ऐसे में इनकी जगह मल्टी टास्क वर्कराें से काम लिया जा रहा है।  

हजार मल्टी टास्क वर्कर्स प्रदेश में नियुक्त 
लोक निर्माण विभाग में लगभग 4 हजार मल्टी टास्क वर्करों की नियुक्ति की गई है। इन्हें 4500 रुपये का मासिक मानदेय मिलता है। विभाग के काम को गति देने के लिए इनकी नियुक्ति की गई है। कई जगह तो श्रमिकों की कमी होने पर इन्हें नालियां साफ करने का भी काम दिया गया। इसी तरह से फील्ड में सड़क निर्माण में विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों की मदद करने के भी इन्हें तैनात किया गया। 

क्या काम लेना है यह निश्चित नहीं 
मंडल में करीब 50 मल्टी टास्क वर्कर्स नियुक्त हैं। उनकी जहां जरूरत होती है, वहां नियुक्त किया जाता है। इनसे क्या काम लिया जाना है, इसे निश्चित नहीं किया गया है। इनसे कोई भी काम लिया जा सकता है। इनसे कार्यालय में भी सहयोग लिया जाता है।-अखिल चौहान, अधिशासी अभियंता, पीडब्ल्यूडी कोटखाई  

ले सकते हैं कोई भी काम 
जहां स्टाफ की कमी है, वहां मल्टी टास्क वर्कर्ज की नियुक्ति की है। इनसे विभाग कोई भी काम ले सकता है। अगर इन्हें कार्यालयों में ज्यादा नियुक्त किया गया है तो इसका पता किया जाएगा और उचित कदम उठाया जाएगा।

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