ग्रामीण सड़कों पर ठेकेदारों की ओर से जमा किए सिक्योरिटी डिपॉजिट पर मिले ब्याज को हिमाचल सरकार को भारत सरकार के खाते में जमा करना होगा। इसे उसी 90:10 के अनुपात से देना होगा, जिस फंडिंग पैट्रर्न में केंद्र सरकार हिमाचल को इन सड़कों के लिए बजट देती है। इस संबंध में राष्ट्रीय ग्रामीण अवसंरचना विकास एजेंसी निदेशक देविंद्र कुमार ने हिमाचल की राज्य ग्रामीण सड़क विकास एजेंसी को पत्र जारी किया है। इसमें स्पष्ट किया गया है कि राज्य ग्रामीण सड़क विकास एजेंसी के पास सिक्योरिटी डिपाॅजिट खाते में एमओडी, एफडी, फ्लेक्सी डिपॉजिट आदि के रूप में पैसा जमा होता है।
यह वह पैसा है, जो ठेकेदारों से सिक्योरिटी डिपॉजिट के रूप में लिया जाता है। चूंकि भारत सरकार हिमाचल प्रदेश को विशेष श्रेणी का राज्य होने के नाते 90:10 के अनुपात से मदद करती है तो ऐसे में इस सिक्योरिटी डिपॉजिट पर बैंकों में जो भी ब्याज जमा हो रहा है, उसका 90 फीसदी केंद्र को लाैटाने को कहा है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत जिन सड़कों के टेंडर लगाए जाते हैं, उनके लिए ठेकेदारों से कुल आवंटित धनराशि की 5% सिक्योरिटी ली जाती है। 2.5 % पहले, इतनी ही बाद में आवंटित राशि से काटी जाती है।
174 करोड़ रुपये है कुल सिक्योरिटी डिपॉजिट
हिमाचल में ठेकेदारों का कुल जमा सिक्योरिटी डिपॉजिट 174 करोड़ रुपये है। इस पर जो भी ब्याज एकत्र होगा, उसका 90 प्रतिशत भारत सरकार को देना होगा।
केंद्र ने राज्य ग्रामीण सड़क विकास एजेंसी को ठेकेदारों के सिक्योरिटी डिपॉजिट के लिए अलग से खाता खोलने की अनुमति दी है। इसमें जो राशि जमा हो रही है, उसकी एफडी की जा सकती है। इस पर जो ब्याज मिलता है, उसका 90 फीसदी हिस्सा अब केंद्र को देना होगा। केंद्र से आए किसी भी बजट पर अगर ब्याज एकत्र हो रहा तो इसी अनुपात से लौटाना होता है