हिमाचल प्रदेश में मानसून सीजन के दौरान सामान्य से 18 फीसदी कम बारिश होने से परियोजनाओं में बिजली उत्पादन 30 फीसदी तक घट गया है। बिजली उत्पादन में आई गिरावट के चलते हिमाचल ने पंजाब और दिल्ली से बिजली लेने का फैसला लिया है। 15 अक्तूबर से हिमाचल बिजली की कमी को दूर करने के लिए दोनों राज्यों से रोज 25 लाख यूनिट बिजली लेगा। वहीं, सर्दियों का मौसम शुरू होते ही हिमाचल ने अन्य राज्यों को बिजली देना भी बंद कर दिया है।
अभी हिमाचल बाहरी राज्यों से गर्मी में उधार दी गई बिजली ही वापस लेगा। बिजली की मांग अधिक होने पर सरकार बाहर से बिजली की खरीद भी करेगी। हिमाचल में प्रतिदिन 360 लाख यूनिट बिजली की आवश्यकता है जबकि उपलब्धता 340 लाख यूनिट की है। सितंबर तक 500 लाख यूनिट बिजली उत्पादन हो रहा था। मानसून सीजन समाप्त होते ही नदियों में पानी की कमी होने से उत्पादन में प्रतिदिन करीब 160 लाख यूनिट की कमी आई है। इस कारण गर्मियों के मौसम में राज्यों को उधार पर दी बिजली हिमाचल मार्च 2025 तक वापस लेगा।
इसके तहत दोनों राज्यों से बैंकिंग के तहत बिजली वापस ली जा रही है। अभी प्रदेश में बिजली की आवश्यकता बहुत अधिक नहीं है, ऐसे में अन्य राज्यों को दी सप्लाई भी आने वाले दिनों में वापस लेने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। दूसरी ओर, अगर प्रदेश में बिजली की मांग और अधिक बढ़ती है तो सबसे पहले हिमाचल सरकार को परियोजनाओं से रॉयल्टी के तौर पर मिलने वाली निशुल्क बिजली की खरीद करेगी। नदियों में पानी की मात्रा कम होने से बिजली परियोजनाएं पूरी क्षमता से उत्पादन नहीं कर पा रही हैं।