दरकते पहाड़, जड़ समेत उखड़े पेड़। सड़कें खुलीं पर मुसीबत बरकरार। रस्सियों पर झूलता जनजीवन साल 2023 के उन जख्मों को ताजा कर रहा है, जो कुदरत और पारिस्थितिकी से छेड़छाड़ से मिले थे। सदी की भयंकर प्राकृतिक आपदा को सवा साल बीत गया पर धरातल पर बदला कुछ भी नहीं। विकास के नाम पर विनाशलीला जारी है। पहाड़ अब भी काटे जा रहे हैं। खनन हो रहा है। नदियों-नालों के रास्ते रोककर अवैज्ञानिक निर्माण भी नहीं रुका है।
मंडी मुख्यालय से करीब 40 दूरी पर औट कस्बे के ठीक नीचे ब्यास नदी बहती है। आपदा ने यहां किनारे पर बने भवनों को बहुत नुकसान पहुंचाया था। अब यहां नदी किनारे फिर से निर्माण कार्य जारी है। इसी रास्ते में किरतपुर-मनाली फोरलेन के किनारे अवैध डंपिंग की गई है। मलबा-पत्थर फोरलेन के किनारे से गिरकर ब्यास नदी में गिर रहे हैं। औट से मंडी की ओर टनल के मुहाने से सैंज की ओर सड़क जाती है।
नदी के किनारे भी खनन का काम जारी
इस सड़क के साथ पिन पार्वती नदी बहती है। इस नदी के किनारे भी खनन का काम जारी है। आपदा के दौरान आई गाद और पत्थरों से पूरी पिन पार्वती नदी भरी हुई है। पानी का लेवल भी 5 से 10 मीटर ऊपर तक हो गया है। न्यूली, नुनूर, रोपा, करटाह, सियुंड, सैंज, बकशाहल, बिहाली और तरेड़ा आदि रिहायशी इलाकों में नदी के किनारे मलबे के पहाड़ खड़े हैं। नदी को अब तक समतल नहीं किया जा सका है। आपदा के दौरान कुल्लू के सैंज क्षेत्र में भारी तबाही हुई थी। सात बड़े और छह छोटे पुल बह गए थे। इनमें अभी न्यूली में दो और सैंज में एक बेली ब्रिज ही बन पाया है। देहरीधार, शांघड, गाडा पारली, सुचैहन, दुशाहड़ और तलाड़ा समेत करीब 12 पंचायतों के 100 गांवों के लोग अब भी यहां अस्थायी पुलिया या झूला पुल के सहारे पिन पार्वती नदी को पार कर रहे हैं। कुल्लू और मंडी जिला में करीब 300 गांव अब भी आपदा प्रभावित हैं। इन गांवों के लोग रस्सी और ट्रॉलियों के सहारे नदी-नालों को पार कर रहे हैं।
यह हुआ था 2023 में
कुल्लू जिले में जुलाई और अगस्त माह में भारी बारिश और बाढ़ से सात पुल बह गए थे, जबकि आठ क्षतिग्रस्त हो गए थे। बंजार और कुल्लू विधानसभा क्षेत्र में तीन बड़े पुल क्षतिग्रस्त हुए थे, दो बह गए थे। मनाली में भी तीन पुल बहने के साथ दो क्षतिग्रस्त हुए थे। 47 छोटी पुलिया भी बह गईं थीं। इनमें से अभी आधे पुल और बेली ब्रिज तैयार हो पाए हैं। शेष पुलों पर आधा-अधूरा कार्य हुआ है। यही हाल मंडी जिला का भी है। मंडी जिला में छह छोटे-बड़े पुल बह गए थे। मौजूदा समय में पंचवक्त्र का फुट ब्रिज बनकर तैयार हो गया है। कुन का तर में पुल का शिलान्यास ही हो पाया है। पांच जगह पुल बनना बाकी है। इस कारण दर्जनों पंचायतों के करीब 100 गांवों की हजारों की आबादी प्रभावित है।
ये गांव अभी संवेदनशील
कुल्लू की पंचायत शर्ची के गांव निचला बंदल, कोशुनाली, कंडीधार का जावल, पंचायत पेखड़ी का रूपाजानी गांव, धारा, पकाहुडी, भौंरुथाच, बीड़ाशांघड़ और मरौड़ गांव आपदा के लिहाज से अब भी संवेदनशील हैं। इन गांवों में जुलाई, अगस्त 2023 में भारी भूस्खलन और नुकसान हुआ था। इन गांवों में अभी तक नाममात्र ही सुरक्षा उपाय हुए हैं। लोग डर के साए में जी रहे हैं।
सरकारी मदद का इंतजार
सैंज की शब्दो देवी के अनुसार 2023 की आपदा के जख्म अभी भरे नहीं हैं। दो घर थे, पानी दोनों को बहा ले गया। रोजी-रोटी के लिए दो दुकानें बनाई थीं, वह भी नहीं रहीं। डेढ़ बीघा जमीन का नामोनिशान मिट गया। सरकार ने सात लाख रुपये, तीन बिस्वा जमीन, घर का किराया और राशन देने की बात कही थी लेकिन अभी तक महज चार लाख रुपये ही मिले हैं। न जमीन मिली, न किराया और न राशन। परिवार में आठ सदस्य हैं। 1500 रुपये किराया दे रही रही हूं। बिजली बिल अलग से देना पड़ता है। कैसे गुजारा करूं। बलाधी मणिकर्ण से प्रभावित चंद्रकांता के अनुसार अगस्त 2023 में आई आपदा से कुछ समय पहले लोगों से पैसा उधार लेकर पक्का मकान बनाया था। मलाणा नाला से आए सैलाब में सब पानी की भेंट चढ़ गया। अगर मलाणा का बांध नहीं टूटता तो नुकसान नहीं होता। अब घर तो नहीं है लेकिन कर्ज बाकी है।
विकास के नाम पर और विनाशलीला नहीं: पर्यावरणविद
सैंज के पर्यावरणविद मदन शर्मा के अनुसार छोटे-बड़े नदी और नालों पर अधिक बिजली परियोजनाएं बनाने से अब परहेज करना चाहिए। भूस्खलन को रोकने के लिए जंगलों का दायरा बढ़ाना होगा। नदी-नालों के किनारे तटीकरण हो और नए घरों के निर्माण पर प्रतिबंध लगना चाहिए। नदियों के किनारे निर्माण पर तुरंत रोक लगनी चाहिए। विकास के नाम पर अब और विनाशलीला नहीं चाहिए। अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी कुल्लू अश्वनी कुमार के अनुसार आपदा के बाद 50 फीसदी से अधिक जगह पुल बनाए गए हैं। आईसीआईसीआई फाउंडेशन की ओर से पंचायतों में लोहे के 10 पुल लगाए गए हैं। जिला कुल्लू में 192 सड़कें बाधित हुई थीं। इन सड़कों को बहाल होने में लंबा समय लगा। अधिकतर जगहों पर पुल भी तैयार हो गए हैं।