हिमाचल प्रदेश में लोगों ने दो दिन दिवाली मनाई। ऐसे में लोगों ने गुरुवार और शुक्रवार दोनों दिन लोगों ने जमकर पटाखे चलाए। इस वर्ष राज्य में औसत एक्यूआई पिछले वर्ष 92 की तुलना में 140 रहा, जो करीब डेढ़ गुना है। अत्याधिक पटाखे चलाने के कारण धुएं का जहर पर्यावरण में घुल गया है। इससे प्रदेश की आबोहवा खराब हो गई है। औद्योगिक क्षेत्र बद्दी की हवा दिवाली के बाद से सांस लेने के लायक नहीं रही। बताया जा रहा है कि हवा इतनी दूषित पहले कभी नहीं हुई। वहीं, परवाणू भी इससे अछुता नहीं है। जबकि दो दिनों में शिमला, मनाली व धर्मशाला की हवा भी धुएं का असर देखा गया।
औद्योगिक क्षेत्र बद्दी की हवा का स्तर बहुत खराब श्रेणी में चला गया।
एयर क्वालिटी इंडेक्स 392 तक पहुंच गया
बद्दी में एयर क्वालिटी इंडेक्स 392 तक पहुंच गया तो सांस लेने में भी काफी नुकसानदायक रहा। जबकि बद्दी का पीएम इंडेक्स 10 भी 256 तक चला गया। इसके बाद परवाणू का हवा का स्तर 217 रहा। यह भी खराब श्रेणी में रहा। दूसरी ओर, मनाली व धर्मशाला का एयर क्वालिटी इंडेक्स शिमला से भी काफी खराब रहा। शिमला में एयर क्वालिटी इंडेक्स 66 रहा। जबिक धर्मशाला का 109 व मनाली का 80 रहा। धर्मशाला का मॉडरेट जोन में चला गया। इसके अलावा सुंदरनगर में 104, ऊना में 122, डमटाल में 98, पांवटा साहिब में 145, कालाअंब में 84, नालागढ़ में 128, बरोटीवाला में 139 तक पहुंच गया। उधर, प्रदूषण बोर्ड के वरिष्ठ अभियंता प्रवीण गुप्ता ने बताया कि बोर्ड समय समय पर हवा व पानी के सैंपल लेता है।
परवाणू में भी बढ़ा वायु प्रदूषण
दीपावली त्योहार पर औद्योगिक क्षेत्र परवाणू में भी धुएं का असर देखने को मिला है। दिवाली से पहले 22 अक्तूबर को शहर में वायु गुणवत्ता सूचकांक 45 पाया था। लेकिन 30 अक्तूबर को उछल कर 122 पहुंच गया। वहीं, यहीं सूचकांक 31 अक्तूूबर को 217 आंका गया। इससे शहर में भी स्थिति काफी खराब हो गई है। परवाणू प्रदूषण बोर्ड के प्रिंसिपल अफसर अनुप वैद्य ने बताया कि प्रदूषण बढ़ने का मुख्य कारण धुएं वाले पटाखे हैं। इसी के साथ आतिशबाजी और स्काई शॉर्ट से भी असर पड़ा है