अमेरिकन स्पेस एजेंसी नासा और यूरोपीय स्पेस एजेंसी (ईएसए) के वैज्ञानिकों को उपग्रहों के डाटा अधिग्रहण के समय की स्टीक जानकारी व्हाट्सएप के जरिये मिलेगी। उपग्रह कब कहां से गुजर कर डाटा लेगा, इसकी एकदम स्टीक जानकारी एनआईटी हमीरपुर के विद्यार्थियों की ओर से तैयार किए गए पोर्टल पर उपलब्ध होगी।
नासा स्पेस एप्स चैलेंज को क्रैक कर एनआईटी हमीरपुर के भौतिकी और फोटोनिक्स विज्ञान विभाग के विद्यार्थियों की टीम ने ऐसा मॉडल विकसित किया है। जिसकी मदद से एक ही टाइम में उपग्रह और पृथ्वी का डाटा लेने की सहूलियत शोधार्थियों और वैज्ञानिकों को मिलेगी। दरअसल, वैज्ञानिकों को किसी भी तरह की सैटेलाइट स्टडी के लिए समय की स्टीक जानकारी मिलने पर ही उपग्रह और पृथ्वी से डाटा को एक समय पर संग्रहित किया जाना जरूरी होता है, ताकि डाटा का बेहतर ढंग से विश्लेषण किया जा सके।
सरफेस रिफ्लैक्टेंस स्टडी के अनुसार वैज्ञानिक अंतरिक्ष से पृथ्वी पर पड़ने वाली वेवलेंथ अथवा सूर्य की रोशनी की रिफ्लेक्ट होने के समय का विश्लेषण करने के लिए इस तकनीक का प्रयोग करते हैं। उपग्रह किस समय धरती से सरफेस रिफ्लैक्टेंस का डाटा अधिग्रहित करेगा, उसी वक्त वैज्ञानिक धरती पर डाटा को संग्रहित करते हैं। ऐसे में संग्रहित किए गए दोनों डाटा का विश्लेषण करना संभव होगा। एनआईटी हमीरपुर के विद्यार्थियों गिरीश शर्मा, आरुषि सैनी, अजय मोक्ता और शब्द पटेल ने यह पोर्टल विकसित किया है। इससे उपग्रहों के डाटा अधिग्रहण के लोकेशन और समय की स्टीक जानकारी मिलेगी।
निदेशक एनआईटी हमीरपुर प्रो़ एचएम सूर्यवंशी, रजिस्ट्रार डॉ. अर्चना नानोटी और विभागाध्यक्ष डॉ. राजेश शर्मा ने कहा कि नासा स्पेस एप्स चैलेंज को क्रैक कर इस तरह का पोर्टल विकसित करना अपने आप में बड़ी उपलब्धि है। एनआईटी हमीरपुर के विद्यार्थियों ने नासा के चैलेंज के प्रथम चरण को क्रैक कर लिया है। उनके पोर्टल से आसानी से वैज्ञानिको को उपग्रहों के डाटा अधिग्रहित करने की स्टीक जानकारी मिलेगी। कब, कहां से गुजर कर उपग्रह डाटा संग्रहित करेगा, इसकी एकदम स्टीक जानकारी मिलेगी।
4 उपग्रहों का डाटा पोर्टल पर करवाया गया उपलब्ध
अमेरिकन स्पेस एजेंसी नासा लैंडसेट 8 और 9 और यूरोपीय स्पेस एजेंसी (ईएसए) के सेंटीनल 1 और 2 का डाटा पोर्टल पर उपलब्ध है। नासा के इस चैलेंज में हिस्सा लेने वाले विद्यार्थियों को इन उपग्रहों का एक्सेस दिया जाता है, ताकि वह चैलेंज को पूरा कर सकें। ऐसे में एनआईटी के विद्यार्थियों के पोर्टल की सटीकता को स्वीकार करते हुए नासा ने उन्हें चैलेंज के अगले चरण के लिए क्वालीफाई किया है।