एक तो नशे की बुरी लत और दूसरे घातक बीमारी। प्रदेश में कई युवाओं की ऐसी हालत है। नशे की सुई से किए जाने वाले नशे से हिमाचल प्रदेश में एचआईवी जैसी घातक बीमारी बंट रही है। खास बात है कि ऐसे मरीजों में छात्र भी शामिल हैं। प्रदेश में किए गए सर्वे में ये खुलासा हुआ है।
हिमाचल प्रदेश राज्य एड्स कंट्रोल सोसायटी के प्रोजेक्ट डायरेक्टर राजीव कुमार ने कहा है कि प्रदेश में मौजूदा समय में 5,870 लोग एचआईवी से पीड़ित हैं। 1998 से अब तक प्रदेश में 304 बच्चे एचआईवी पॉजिटिव आए हैं। हालांकि स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सकों की निगरानी में सभी उपचार चल रहा है। राजीव कुमार ने शुक्रवार को हिमाचल प्रदेश राज्य एड्स कंट्रोल सोसायटी की ओर से होटल हॉली डे होम में एचआईवी/एड्स पर आयोजित सूचना कार्यक्रम की अध्यक्षता की। राज्य कार्यक्रम अधिकारी डॉ. ललित ठाकुर ने बताया कि एचआईवी का मुख्य कारणों में सीरिंज से नशा लेना भी है।
उन्होंने बताया कि हिमाचल प्रदेश में 2023-24 में किए एक गए एक सर्वे में सामने आया कि 5 से 10 फीसदी युवा इंट्रा ड्रग के इस्तेमाल से एचआईवी की जद में आ रहे हैं। इनमें छात्र भी शामिल हैं। सर्वे 15 से 49 वर्ष तक के लोगों पर किया गया।
मरीजों की पहचान गुप्त, दी जाती हैं सुविधाएं
शिमला। हिमाचल प्रदेश राज्य एड्स कंट्रोल सोसायटी युवाओं और महिलाओं पर अधिक ध्यान दे रही है।बीते वर्ष साढ़े पांच लाख के करीब टेस्ट किए गए। कार्यक्रम में यह भी बताया कि एचआईवी पॉजिटिव मरीज को सरकारी योजना के तहत प्रत्येक महीने 1500 रुपये की राशि भी दी जाती है। मुफ्त बस पास और न्यूट्रिशनल किट भी मुहैया करवाई जाती है। उन्होंने बताया कि पॉजिटिव आए लोगों की जानकारी गुप्त रखी जाती है। कोई इसे सार्वजनिक करता है, तो उस पर जुर्माने के साथ-साथ अन्य कड़े प्रावधानों के तहत कार्रवाई की जा सकती है।
2030 तक इस बीमारी को खत्म करना लक्ष्य
राज्य कार्यक्रम अधिकारी डॉ. ललित ठाकुर ने बताया कि बीते साल के मुकाबले इस वर्ष सितंबर तक 425 केस सामने आए हैं। 376 लोगों को दवाई पर रखा गया है। समय-समय पर इनकी फॉलोअप जांच की जा रही है। उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य विभाग का मकसद है कि साल 2030 तक इस बीमारी को खत्म करना है।