तेलंगाना के सीएम रेवंत रेड्डी, हिमाचल प्रदेश के सीएम सुखविंद्र सिंह सुक्खू और कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने मुंबई में संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान हिमाचल प्रदेश के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा, “जब मैं महाराष्ट्र कांग्रेस कार्यालय पहुंचा तो पवन खेड़ा ने मुझे समोसा ऑफर किया। फिर मैंने पूछा कि यहां जो राजनीति हो रही है, वह समोसे पर है या विकास पर, महिलाओं के सम्मान पर। सच हमेशा झूठ का सामना करता है, लेकिन अंत में जीत सच की ही होती है। महाराष्ट्र की तरह ही हिमाचल प्रदेश में भी राज्यसभा चुनाव के दौरान ‘ऑपरेशन लोटस’ चलाया गया।”
मैं समोसा नहीं खाता- मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू
वहीं, दिल्ली में सीएम सुक्खू ने एक निजी चैनल से बातचीत में कहा, ”मैं तो समोसे खाता नहीं हूं, मुझे हेल्थ इश्यू है”. इससे पहले मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा था कि यह मिस-बिहेव का मामला है, जबकि समोसे को लेकर खबर चलाई जा रही है। सीएम सुक्खू ने यहां तक कहा कि यह विपक्ष की साजिश है, क्योंकि हमारे फिर से 40 विधायक हो गए हैं और जब से ऑपरेशन लोट्स नाकाम हुआ है, तब से दिल्ली में ज्यादा चर्चा है।
समोसा विवाद पर सीआईडी ने क्या कहा?
शुक्रवार को हिमाचल प्रदेश राज्य गुप्तचर विभाग की ओर से एक प्रेस रिलीज जारी कर स्पष्टीकरण दिया गया है। राज्य गुप्तचर विभाग की ओर से जारी प्रेस नोट जारी कर बताया गया कि 21 अक्टूबर को हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री ने 1930 हेल्पलाइन डाटा सेंटर के उद्घाटन और गुप्तचर विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक के लिए विभाग कार्यालय का दौरा किया था। इसके उद्घाटन और अधिकारियों के साथ बैठक के बाद दौरे के बारे में पुलिस महानिदेशक राज्य गुप्तचर विभाग के कार्यालय में एक ब्रीफिंग सत्र हुआ।
इस सत्र के दौरान एक अधिकारी ने जलपान प्रबंधन विशेष तौर पर पर्यटन निगम और बाहर से लाई गई खाने की चीजों की तरफ ध्यान दिलाया। इसके बाद यह बात संज्ञान में आई कि मुख्यमंत्री को कुछ खाद्य सामग्री नहीं परोसी गई। इस पर गुप्तचर विभाग के पुलिस महानिदेशक संजीव रंजन ओझा ने यह पता लगाना चाहा कि वह खाने की चीज भोजन की सूची से कैसे गायब हो गई। गुप्तचर विभाग का कहना है कि यह हिमाचल प्रदेश सीआईडी का आंतरिक मामला है और सीआईडी विभाग एक अनुशासित संगठन है। सीआईडी की ओर से कहा गया है कि इस पूरे मामले में राज्य सरकार का कोई लेना देना नहीं है।