जम्मू-कश्मीर में 9 नवंबर को आतंकियों से लोहा लेते हुए बलिदान हुए हिमाचल प्रदेश के नायब सूबेदार राकेश कुमार का मंगलवार को राजकीय सम्मान के साथ पैतृक गांव के श्मशानघाट चैड़ा में अंतिम संस्कार किया गया। अंतिम यात्रा में बलिदानी को विदाई देने के लिए सेना के जवानों समेत लोगों की भीड़ जुटी। पत्नी भानु प्रिया ने बलिदानी पति का माथा चूमा और सैल्यूट कर उन्हें अंतिम विदाई दी।
पत्नी भानु प्रिया और 14 साल की बेटी यशस्वी ने बलिदानी की पार्थिव देह को कंधा भी दिया। 9 साल के प्रणव ने पिता की चिता को मुखाग्नि दी। नेरचौक मेडिकल कॉलेज से सुबह करीब 9:30 बजे पार्थिव देह बरनोग गांव पहुंचीं। पार्थिव देह के पहुंचते ही पत्नी समेत परिवार के सदस्य बिलख-बिलख कर रोने लगे। भारत माता की जय और राकेश कुमार अमर रहे… के नारों से बरनोग गांव गूंज उठा और हरेक की आंखें नम थीं। करीब 11 बजे अंतिम यात्रा शुरू हुई।
बलिदानी के नारों के साथ लोग चैड़ा श्मशानघाट तक पहुंचे। बरनोग से जीप में राकेश की पार्थिव देह श्मशानघाट तक पहुंचाई गई। सैन्य टुकड़ी ने राजकीय सम्मान के साथ जांबाज को विदाई दी।
तिरंगे में लिपटी पहुंची बलिदान राकेश कुमार की पार्थिव देह। – फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
दर्द को दिल में छिपा मां ने बलिदानी बेटे पर किया गर्व
मंडी के वीर सपूत राकेश कुमार के बलिदान होने से गमगीन परिवार ने दुख की घड़ी में भी देशभक्ति का जज्बा दिखाया। 90 साल की मां बेटे की पार्थिव देह पहुंचने पर खुद को संभाले खड़ी रहीं।
मातृभूमि के लिए अपने प्राणों की आहुति देने पर मां अपने बेटे पर गर्व महसूस कर रही थीं। घर से लेकर श्मशानघाट तक जब तक सूरज चांद रहेगा तब तक राकेश कुमार का नाम रहेगा… के नारों से गूंज उठा। राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने भी शोक जताया।
दर्द को दिल में छिपाकर पत्नी भानु प्रिया, बेटे प्रणव और बेटी यशस्वी ठाकुर ने भी हिम्मत नहीं हारी। बेटी यशस्वी और बेटे प्रणव ने आतंकवादियों को कड़ा संदेश दिया कि उनके बलिदानी पिता को तो तुमने छीन लिया लेकिन अपनी माटी के लिए उनके परिवार ने हिम्मत नहीं हारी है। आतंकवाद के विरुद्ध परिजनों, स्थानीय लोगों, नेताओं और पूर्व सैनिकों का जोश भी देखने लायक रहा।