ईको टूरिज्म नीति के तहत यूनिटों में स्थानीय लोगों को नौकरी देना अनिवार्य, सरकार ने किया संशोधन

Himachal News Under the Eco Tourism Policy it is mandatory to employ local people in the units

हिमाचल प्रदेश सरकार ने ईको टूरिज्म नीति में संशोधन किया है। बीते महीने कैबिनेट की बैठक के बाद प्रदेश सरकार ने शनिवार को इसकी अधिसूचना जारी कर दी है। इसके तहत स्थानीय लोगों को अनिवार्य तौर पर रोजगार मिलेगा।

प्रदेश में ईको टूरिज्म गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए वन संरक्षण अधिनियम (एफसीए) 2023 में बीते दिनों हुए किए गए संशोधन के अनुरूप ईको टूरिज्म नीति में बदलाव कर 6 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है। ईको टूरिज्म साइट के लिए अब एक हेक्टेयर से अधिक के प्रोजेक्ट को भी मंजूरी दी जाएगी। इसे लेकर केंद्रीय नीति में भी बदलाव हुआ है। सरकार ने शर्त रखी है कि ईको टूरिज्म यूनिट में स्थानीय लोगों को अनिवार्य तौर पर रोजगार देना होगा और स्थानीय उत्पादों का इस्तेमाल करना होगा। इसके अलावा अब ट्रैकिंग गतिविधियां भी वन विभाग के अधीन प्रस्तावित हैं। सैलानियों के साथ इन्हें चलाने वाली कंपनियों को आकर्षित करने के लिए पॉलिसी में बदलाव होने हैं।

हिमाचल में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार नई ईको टूरिज्म पालिसी लेकर आएगी। पर्यटक शहरों के अलावा अब पर्यटक गांवों की सैर कर हिमाचल की संस्कृति और यहां के परंपराओं को जान सकेंगे। स्थानीय लोगों को अनिवार्य तौर पर रोजगार देना होगा। स्थानीय उत्पादों का इस्तेमाल करना होगा। इसके अलावा अब ट्रैकिंग गतिविधियां भी वन विभाग के अधीन प्रस्तावित हैं। सैलानियों के साथ इन्हें चलाने वाली कंपनियों को आकर्षित करने के लिए पॉलिसी में बदलाव किए गए हैं।

15 साल तक ही दी जाएगी साइट
हिमाचल सरकार ईको टूरिज्म साइट को 10 सालों के लिए किसी फर्म या व्यक्ति को देगी। इस की लीज को 5 साल तक बढ़ाया जा सकता है। कुल 15 साल तक ही यह साइट दी जाएगी। ईको टूरिज्म साइट पर टैंड, लकड़ी के स्ट्रक्वर, प्री फैबरिकेटेड भवन बनाया जाएगा। यह भवन इस तरह के होंगे जिससे पर्यावरण को नुकसान न हो। पर्यावरण संरक्षण हो व जीव जंतुओं को किसी तरह की हानि न पहुंचे। इसकी कमाई की 20 फीसदी राशि को सरकार पर्यावरण संरक्षण पर ही खर्च करेगी। अन्य मदों पर उसे खर्च नहीं किया जा सकेगा।

प्राकृतिक के साथ नहीं करनी होगी छेड़छाड़
नई पालिसी में प्रकृति के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं होगी। झीलों, नदियों, पर्यावरण, सैंच्युरी, वेटलैंड को सुरक्षित रखना अनिवार्य होगा। हर साल अन्य राज्यों से प्रदेश की जनसंख्या से दो गुणा सैलानी हिमाचल की प्राकृतिक को निहारने आते हैं। शिमला, धर्मशाला, डलहौजी और मनाली में सबसे ज्यादा पर्यटक आते हैं।

2030 तक कुल पर्यटकों में से कम से कम 10% को ईको-टूजिज्म स्थलों पर आकर्षित करेंगे।

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