13,050 फीट ऊंचे रोहतांग दर्रा में रविवार सुबह हल्की बर्फबारी हुई है। बीते शनिवार को भी यहां बर्फबारी हुई थी। जबकि कोकसर में सुबह ओलावृष्टि हुई। पिछले 36 घंटों से लाहौल व मनाली की ऊंचे क्षेत्रों में मौसम परिर्वतन शील बना हुआ है। हालांकि मनाली व कुल्लू के निचले क्षेत्रों में सुबह से धूप खिली हुई है। किसान व बागवान चार महीनों से बारिश न होने से आसमान की ओर टकटकी लगाए हुए हैं।
रोहतांग, बारालाचा, कुंजुम दर्रा पर शनिवार को भी बर्फबारी हुई है। मैदानी जिलों में सुबह और शाम के समय कोहरा पड़ने का सिलसिला जारी रहा, वहीं राजधानी शिमला में दिन भर हल्के बादलों के साथ-साथ धूप खिली रही। रविवार को भी प्रदेश के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी का पूर्वानुमान है। शेष क्षेत्रों में मौसम शुष्क रहने के आसार हैं। ताबो, कुकुमसेरी और समदो का न्यूनतम तापमान शुक्रवार रात को माइनस में दर्ज हुआ। शनिवार को प्रदेश के अधिकतम पारे में भी कमी दर्ज हुई।
123 सालों में नवंबर में तीसरी सबसे कम बारिश
हिमाचल प्रदेश में नवंबर 2024 में 123 सालों में तीसरी सबसे कम बारिश दर्ज की गई है। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में नवंबर 2024 में नाममात्र बारिश हुई। प्रदेश में नवंबर में साल 1901 से 2024 की अवधि में तीसरी सबसे कम बारिश दर्ज की गई। नवंबर में सबसे ज्यादा 88.5 मिलीमीटर बारिश साल 1925 में हुई थी। इस साल राज्य में 1 से 30 नवंबर तक मात्र 0.2 मिलीमीटर बारिश हुई, जो सामान्य से 99 फीसदी कम है। इस अवधि में 19.7 मिलीमीटर बारिश को सामान्य माना गया है। हमीरपुर, बिलासपुर, सोलन, सिरमौर, कुल्लू, कांगड़ा, मंडी, शिमला, ऊना और चंबा जिलों में नवंबर 2024 में कोई बारिश नहीं हुई है।
श्रीखंड महादेव की चोटियों से बर्फ गायब
प्रदेश की प्रसिद्ध धार्मिक यात्राओं में शामिल श्रीखंड महादेव की ऊंची चोटियों से इस साल बर्फ गायब है। नित्थर के बुजुर्गों का कहना है कि करीब 20 साल बाद ऐसी स्थिति बनी है। नहीं तो इन चोटियों पर हमेशा बर्फ रहती थी, लेकिन इस बार सूखे के कारण और हिमपात न होने से बर्फ गायब है। मौसम की इस बेरुखी से किसान और बागवान भी परेशान हैं। नित्थर के सेब बहुल क्षेत्र एडशी, कुठेड़, कंडागई, लोट और दुराह सहित अन्य इलाके सूखे की मार झेल रहे हैं। जबकि निचले क्षेत्र में भी बारिश न होने से किसान मटर और अन्य सब्जियों की बुवाई नहीं कर पा रहे हैं।
बागवान भूपेंद्र ठाकुर, सुनील भारती, बबनेश, हुकम चंद, जयसुख, चिंटू, हरदयाल, विजय, सतपाल, सुनील और दलीप ठाकुर का कहना है कि सेब के पेड़ों में सूखे की वजह से कैंकर, वूली एफिड जैसी बीमारियों फैल गई हैं। इससे पेड़ों की खाल निकल रही है और पेड़ों पर सफेद फफूंद लग रही है, जो सेब के पेड़ों के लिए बेहद हानिकारक है। न खाद डाल पा रहे हैं, न ही प्रूनिंग का कार्य कर पा रहे हैं। सब काम बारिश न होने से रुके पड़े हैं। सेब के नए पौधे भी नहीं लगा पा रहे हैं।
कुल्लू जिला पर्यटन विकास अधिकारी सुनयना शर्मा कहती हैं, “कुल्लू जिले में सर्दियों के दौरान बर्फबारी पर्यटकों के लिए एक बड़ा आकर्षण है और बर्फबारी से पर्यटकों की आमद पर भी काफी असर पड़ता है। अगर बर्फबारी जल्दी होती है तो हमारा पर्यटन सीजन थोड़ा जल्दी शुरू होता है और अगर बर्फबारी में देरी होती है तो निश्चित तौर पर पर्यटक भी उसी हिसाब से आते हैं। इस बार मौसम काफी शुष्क रहा है और मनाली में अभी तक कोई बड़ी बर्फबारी नहीं हुई है। सिस्सू और हामटा की तरफ थोड़ी बर्फबारी हुई है। नतीजतन, जो पर्यटक यहां आ रहे हैं, उनमें उतना उत्साह नहीं है और पर्यटकों की आमद भी कम है। पर्यटन उद्योग को यह नुकसान देखने को मिल रहा है। पिछले कुछ सालों से तुलना करें तो इस साल आने वाले पर्यटकों की संख्या में थोड़ी कमी आई है।