मौसम का बदला ट्रेंड, नवंबर के बजाय दिसंबर में हो रही बर्फबारी; ग्लेशियरों को नुकसान; जानें वजह

Snow disappeared from the mountains rocks and stones became visible

हिमाचल में मौसम का ट्रेंड बदल गया है। अब नवंबर में नहीं, बल्कि दिसंबर में बर्फबारी हो रही है। पिछले नवंबर में बर्फ से सफेद रहने वाले कुल्लू, मनाली व शीत मरुस्थल लाहौल-स्पीति के पहाड़ों से इस बार भी बर्फ गायब है। खासकर रोहतांग, कुंजम दर्रा, शिंकुला, बारालाचा समेत हिमालय क्षेत्र की अधिकतर चोटियों पर चट्टानें या पत्थर नजर आने लगे हैं।

ग्लोबल वार्मिंग व पोलर ड्रिफ्ट के कारण बर्फीले इलाकों से बर्फ का दायरा न केवल ऊपर की तरफ खिसक रहा है, बल्कि कुल्लू व लाहौल घाटी में बर्फबारी का समय भी बदल रहा है। इन इलाकों में अमूमन नवंबर से बर्फबारी का दौर शुरू हो जाता था, लेकिन अब खिसककर दिसंबर के अंत और जनवरी-फरवरी में जा पहुंचा है।

विशेषज्ञों का कहना है कि यह सब ग्लोबल वार्मिंग व पोलर ड्रिफ्ट के कारण हो रहा है। मौसम का यह चक्र पिछले एक दशक से लगातार बदल रहा है और बर्फ एक से डेढ़ माह बाद गिरने लगी है। 2023 में भी लाहौल व कुल्लू की चोटियों व बर्फीले इलाकों में दिसंबर के अंतिम माह में हिमपात हुआ था। इसका सबसे अधिक नुकसान ग्लेशियरों को हो रहा है। इसका अंदाजा कुल्लू और लाहौल की 13,000 फीट से अधिक ऊंची चोटियों से लगाया जा सकता है, जो 12 महीने बर्फ से लकदक रहती थीं, लेकिन पिछले कुछ सालों से ये चोटियां बिना बर्फ के नजर आ रही हैं। इससे आने वाले समय में पेयजल संकट गहरा सकता है।

ग्रेट हिमायलन नेशनल पार्क के निदेशक पद से सेवानिवृत्त एवं सेव लाहौल-स्पीति सोसायटी के अध्यक्ष बीएस राणा कहते हैं कि वह 40 सालों से लाहौल में काम कर रहे हैं। डेढ़ दशक पूर्व लाहौल घाटी के रिहायशी इलाकों में 10 से 12 फीट बर्फ की मोटी चादर बिछा करती थी। अब ग्लोबल वार्मिंग के साथ पोलर ड्रिफ्ट का असर पड़ा है और पिछले एक दशक से बर्फ एक तिहाई रह गई है। उन्होंने कहा कि लाहौल घाटी में पर्यटन गतिविधियां बढ़ रही हैं। आने वाले समय में इसका असर बर्फबारी व ग्लेशियरों पर पड़ेगा।

केस स्टडी
अटल टनल रोहतांग की बात करें तो यहां 2022 में तीन दिसंबर और 29 दिसंबर को बर्फ गिरी थी। 2023 में 31 दिसंबर को और 2020 में 15 नवंबर के आसपास बर्फ गिरी थी। वहीं इस साल अभी तक यहां बर्फबारी नहीं हुई है। मात्र एक दिन बर्फ के हल्के फाहे गिरे थे।

क्या है पोलर ड्रिफ्ट
पोलर ड्रिफ्ट को ध्रुवीय परिवर्तन कहा जाता है। यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जिससे धरती के चुंबकीय ध्रुव समय के साथ बदलते रहते हैं। यह परिवर्तन धरती के आंतरिक भाग में तरल लोहे की गति के कारण होता है।

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