हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने मंडी के धर्मपुर में बालन की लकड़ी के कटान सहित अंधाधुंध पेड़ काटने के मामले में सरकार को कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और न्यायाधीश राकेश कैंथला की खंडपीठ ने सरकार को यह सुनिश्चित करने के आदेश दिए हैं कि वहां पर कोई अवैध तरीके से प्रतिबंधित प्रजातियों के पेड़ों का कटान न हो। अगर कोई नियमों का उल्लंघन करते हुए और बिना परमिट के पेड़ काटते हुए पाया जाए तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाए। इस मामले में रिन्यूवल ऊर्जा कंपनी को दस्ती नोटिस जारी किया गया है। इस कंपनी की निदेशक एक नेता की पत्नी हैं। मामले की अगली सुनवाई एक जनवरी को होगी।
याचिकाकर्ता ने याचिका में सात लोगों को प्रतिवादी बनाया है, जिनमें से अदालत ने एक से चार क्रम तक रखे गए प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर दिए हैं। इनमें सचिव वन, डीएफओ जोगिंद्रनगर, रेंज वन अधिकारी धर्मपुर और रेंज अधिकारी कमलाह शामिल हैं। पांचवां प्रतिवादी एक रिन्यूवल ऊर्जा कंपनी की निदेशक को बनाया गया है, जो एक नेता की पत्नी हैं। इस कंपनी निदेशक को दस्ती नोटिस जारी किया गया है। कंपनी पर आरोप लगाया गया है कि पेड़ों का अंधाधुंध कटान किया जा रहा है और इन्हें बेचा जा रहा है। एसपी मंडी के अलावा एक अन्य महिला को भी प्रतिवादी बनाया गया है। याचिकाकर्ता की ओर से जनहित याचिका दायर की गई, जिसमें आरोप लगाया गया कि इस क्षेत्र में घरेलू इस्तेमाल के लिए काटे जा रहे पेड़ों के साथ और पेड़ भी काटे जा रहे हैं, जिन्हें बाद में बेचा जा रहा है। उधर, धर्मपुर विधानसभा क्षेत्र में हुए इस पेड़ कटान की जांच के लिए भाजपा ने विधायकों की एक कमेटी भी बनाई है। यह कमेटी अपने स्तर पर मामले की जांच कर रही है।
41 लोगों को करुणामूलक नौकरियां देने का क्या था आधार, हलफनामा दें सीएस : कोर्ट
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने नियमों को ताक पर रखकर करुणामूलक आधार पर नौकरियां देने के मामले में सरकार और स्वास्थ्य विभाग को कड़ी फटकार लगाई है। उच्च न्यायालय ने स्वास्थ्य विभाग पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि करुणामूलक नौकरियां देते समय कोई पारदर्शिता नहीं बरती गई। जिसकी राजनीति में पैठ है, उसे ही फायदा दिया जा रहा है। आम लोगों की सुनवाई कहीं भी नहीं हो रही है। उनके पास अदालत का दरवाजा खटखटाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।
हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव से अगली सुनवाई पर व्यक्तिगत तौर पर इस पर हलफनामा दायर करने के निर्देश दिए हैं कि 5 फीसदी करुणामूलक कोटे के तहत 41 लोगों को किस आधार पर नौकरी दी गई है। न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की अदालत ने कहा कि जिसकी व्यवस्था में पहुंच है, उसी की चल रही है। अदालत ने सरकार को याचिकाकर्ता को तत्काल नियुक्ति प्रदान करने के निर्देश दिए हैं। अदालत ने कहा कि आवेदक का नाम करुणामूलक सूची में 5वें नंबर पर है। इसके बाद भी विभाग ने उसके नीचे वाले 41 लोगों को क्लर्क की नौकरियां दे दीं। अगली सुनवाई 8 जनवरी को होगी। न्यायाधीश गोयल की अदालत ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग ने क्लर्क के पद पर अनुकंपा के आधार पर उन लोगों को नियुक्तियां दे दीं, जिनके माता-पिता व पति-पत्नी की मौत वर्ष 2013 में याचिकाकर्ता के बाद हुई है।
क्या है मामला
आवेदक की मां स्वास्थ्य विभाग में वार्ड सिस्टर के पद पर तैनात थीं। वर्ष 2013 में उनकी मौत हो गई। आवेदक ने 2014 में स्वास्थ्य विभाग में अनुकंपा आधार पर करुणामूलक नौकरी के लिए 5 फीसदी कोटे के तहत आवेदन किया। इस सूची में उसका नाम पांचवें नंबर पर था। विभाग ने साल 2022 में इसके आवेदन को खारिज कर दिया। याचिकाकर्ता ने इसके खिलाफ वर्ष 2022 में हाईकोर्ट में याचिका दायर की। अदालत ने वर्ष 2023 में इस मामले का निपटारा करते हुए विभाग को 5 फीसदी कोटे के तहत इस पर ताजा निर्णय लेने के आदेश दिए। विभाग ने इसके बाद इस पर कोई निर्णय नहीं लिया। याचिकाकर्ता ने उसके बाद अदालत के आदेशों को लागू करने के लिए निष्पादन याचिका दायर की। अदालत ने अपने पिछले आदेश में विभाग को आदेश दिए थे कि 18 मई 2013 के बाद 5 फीसदी कोटे में क्लर्क पद पर कितनी नियुक्तियां की गई हैं। इस पर स्वास्थ्य विभाग के निदेशक की ओर से अदालत में पेश हलफनामे में बताया गया कि 41 लोगों को 5 फीसदी कोटे के तहत नियुक्तियां दी गई हैं।