ढोल, नगाड़ों और रणसिंगों की धुनों के बीच वीरवार को देवता बकरालू के मंदिर में भूंडा महायज्ञ शुरू हो गया। चार दशक बाद आयोजित किए जा रहे महायज्ञ के लिए स्पैल वैली में करीब एक लाख लोग जुटेंगे। वीरवार को पहले दिन से ही यहां लोगों की भीड़ जुटने लग गई। शुक्रवार को शिखा पूजन और फेर रस्म अदा की जाएगी। शनिवार को महायज्ञ की मुख्य रस्म बेड़ा निभाई जाएगी। इस रस्म में बेड़ा यानि एक विशेष व्यक्ति मूंजी (घास) से बने रस्से पर लकड़ी की काठी पर फिसलकर एक छोर से दूसरे छोर पर पहुंचेंगे। विशेष व्यक्ति सूरत राम नौवीं बार देवताओं और देवलुओं की मौजूदगी में बेड़ा रस्म को निभाएंगे। शुक्रवार को शिखा पूजन और फेर रस्म के दौरान मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू, कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह और लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह भी मंदिर में मौजूद रहेंगे।
वीरवार को पहले दिन वाद्ययंत्रों की धुनों पर नाचते-गाते देवलू देवताओं के साथ महायज्ञ में शरीक होने पहुंचे। तलवारों और डंडों के साथ नाचते हुए खूंद (देवलू) देवताओं की पालकी के साथ-साथ चले। देवता बकरालू महाराज के इतिहास में पहली बार चार दशक में महायज्ञ का आयोजन किया जा रहा है। इससे पहले भूंडा महायज्ञ का आयोजन 70 से 80 साल के अंतराल में होता रहा है। दलगांव में देवता के मंदिर में सुबह से ही आम लोगों की आवाजाही शुरू हुई। दोपहर बाद खूंदों के पहुंचने पर कार्यक्रम शुरू हुआ। पहले से तय कार्यक्रम के अनुसार सबसे पहले रंटाड़ी गांव के देवता मोहरिश अपने देवलुओं के साथ के दलगांव पहुंचे। उसके बाद समरकोट के पुजारली गांव से देवता महेश्वर और बछूंछ गांव से बौंद्रा देवता महायज्ञ के लिए देवता बकरालू के मंदिर पहुंचे।
देवताओं के जयकारों से गूंजा दलगांव
भूंडा महायज्ञ के लिए अपने देवताओं के साथ पहुंचे हर व्यक्ति के हाथ में डंडे, तलवारें समेत अन्य हथियार लहरा रहे थे। हर कदम पर पटाखे फोड़े गए। अपने-अपने देवताओं के जयकारों के साथ खूंद पारंपरिक वेशभूषा में नृत्य करते हुए देवता बकरालू महाराज के मंदिर पहुंचे। उसके बाद अपनी-अपनी जगहों की ओर रवाना हुए। बाहर देवताओं और देवलुओं के लिए तंबू लगाए गए हैं, जहां पर वे महायज्ञ खत्म होने तक रुकेंगे। देवताओं का मिलन विशेष आकर्षण रहा। लोगों ने देव मिलन का अभिवादन जयकारे के साथ किया।
रात भर चलता रहेगा नाटियों का दौर
दलगांव में देवताओं के खूंदों के लिए लगाए गए तंबुओं के बाहर शाम होते ही लावा जलना शुरू हुआ। ठंड की परवाह किए बिना देवलू तंबुओं के बाहर झूमते रहे। रात भर यहां नाटियों का दौर चलेगा। देवलुओं के लिए संयुक्त लंगर की व्यवस्था की गई है। कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए चप्पे-चप्पे पर पुलिस तैनात है।