हाल ही में कर्नाटक राज्य में हयूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) के रिपोर्ट किए गए मामलों के लिए मंगलवार को केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव की अध्यक्षता में सभी राज्यों व केंद्र शासित राज्यों के स्वास्थ्य सचिवों के साथ एक बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने बताया कि हयूमन मेटान्यूमोवायरस एक सामान्य वायरस है जो यह ज्यादातर बच्चों, वयस्कों और कमजोर प्रतिरक्षा क्षमता वाले लोगों में फैलता है।
भारत सरकार ने कहा है कि यह एक सामान्य वायरस है जिससे घबराने की आवश्यकता नहीं है। इस वायरस से इन्फेक्शन भारत में पहले भी होते रहे हैं। इसके मुख्य लक्षण खांसी, बुखार, नाक बंद होना, गंभीर मामलों में सांस का फूलना इत्यादि है तथा इससे ब्रोंकाइटिस और निमोनिया भी हो सकता है। यह वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में खांसने, छींकने व हाथ मिलाने आदि से फैलता है। यह वायरस कोई भी गंभीर बीमारी नहीं करता है। उपरोक्त लक्षण होने पर नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र में जाकर अपनी जांच करवाने की सलाह दी गई है।
भारत सरकार द्वारा आयोजित बैठक के उपरांत हिमाचल प्रदेश के स्वास्थ्य सचिव की अध्यक्षता में सभी मेडिकल कॉलेजों के प्राचार्यों, सभी जिलों के मुख्य चिकित्सा अधिकारियों और सभी चिकित्सा अधीक्षकों के साथ एक वर्चुअल बैठक आयोजित की गई। बैठक में स्वास्थ्य सचिव ने दिशा-निर्देश जारी किए हैं कि इन्फ्लूएंजा से संबंधित मामलों या गंभीर तीव्र श्वसन के सभी मामलों की निगरानी की जाए।
क्या है ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी)?
- ह्यूमन मोटान्यूमोवायरस, जिसे एचएमपीवी के छोटे नाम से भी जाना जाता है, इंसानों की श्वसन प्रक्रिया पर प्रभाव डालने वाला वायरस है। इसकी पहली बार पहचान 2001 में हो गई थी। तब नीदरलैंड के वैज्ञानिकों ने इसका पता लगाया था। यह पैरामाइक्सोविरीडे परिवार का वायरस है।
- श्वसन संबंधी अन्य वायरस की तरह यह भी संक्रमित लोगों के खांसने-छींकने के दौरान उनके करीब रहने से फैलता है।
- कुछ स्टडीज में दावा किया गया है कि यह वायरस पिछले छह दशकों से दुनिया में मौजूद है।
एचएमपीवी का किस पर और कितना असर?
- यह मुख्य तौर पर बच्चों पर असर डालता है। हालांकि, कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों और बुजुर्गों पर भी इसका प्रभाव दर्ज किया गया है।
- इस वायरस की वजह से लोगों को सर्दी, खांसी, बुखार, कफ की शिकायत हो सकती है। ज्यादा गंभीर मामलों में गला और श्वांस नली के जाम होने से लोगों के मुंह से सीटी जैसी खरखराहट भी सुनी जा सकती है।
- कुछ और गंभीर स्थिति में इस वायरस की वजह से लोगों को ब्रोंकियोलाइटिस (फेफड़ों में ऑक्सीजन ले जाने वाली नली में सूजन) और निमोनिया (फेफड़ों में पानी भरना) की स्थिति पैदा कर सकता है। इसके चलते संक्रमितों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ सकती है।
- चूंकि इसके लक्षण कोरोनावायरस संक्रमण और आम फ्लू से मिलते-जुलते हैं, इसलिए इन दोनों में अंतर बता पाना मुश्किल है। हालांकि, जहां कोरोनावायरस की महामारी हर सीजन में फैली थी। वहीं एचएमपीवी अब तक मुख्यतः मौसमी संक्रमण ही माना जा रहा है। हालांकि, कई जगहों पर इसकी मौजूदगी पूरे साल भी दर्ज की गई है।
- कोरोना के इतर इस वायरस के कारण ऊपरी और निचले दोनों श्वसन पथ में संक्रमण का खतरा हो सकता है।
- सामान्य मामलों में इस वायरस का असर तीन से पांच दिन तक रहता है।