पैंक्रियाटिक यानी अग्नाशय के कैंसर पर किए शोध में चिकित्सकों को बड़ी सफलता मिली है। अग्नाशय कैंसर से पीड़ित मरीजों के इलाज में नॉन सर्जिकल ट्रीटमेंट जैसे कीमो और रेडियोथैरेपी ज्यादा कारगर है। हिमाचल, पंजाब और हरियाणा के 58 से 61 साल के मरीजों पर किए शोध में इसका खुलासा हुआ है। पैनक्रियाटिक कैंसर गंभीर बीमारी है। इस बीमारी में अग्नाशय में कैंसर की कोशिकाएं विकसित होती हैं। यह मृत्यु दर के मामले में चाैथा बड़ा कारण है।
आईजीएमसी और पीजीआई के चिकित्सकों की टीम ने 2019 से 2022 तक ट्रायल के तौर पर 80 मरीजों पर शोध किया। आईजीएमसी के सर्जिकल गेस्ट्रो विभाग के असिस्टेंट प्रो. डॉ. विपिन कुमार शर्मा ने बताया कि बीमारी में नॉन-सर्जिकल ट्रीटमेंट (एनएसीआरटी) में 41 और सर्जरी के 39 मरीजों को दो समूह में बांटा गया। 41 मरीजों को रेडियो और कीमोथैरेपी के जरिये इलाज दिया। दूसरे समूह के मरीजों की जांच के
बाद सीधी सर्जरी की। यह खुलासा हुआ है कि अगर मरीजों को पहले नॉन-सर्जिकल ट्रीटमेंट दिया जाए तो उनको राहत मिल सकती है। उधर, जनरल ऑफ कैंसर रिसर्च एंड थेराप्यूटिक्स में भी यह शोध प्रकाशित हो चुका है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि इस पद्धति के फायदों को स्थापित करने के लिए अभी भी बहु केंद्रित अध्ययन की आवश्यकता है।
क्या होता है अग्नाशय
अग्नाशय एक छोटी सी ग्रंथि है, जो पाचन में मदद करने वाले एंजाइम और हार्मोन का उत्पादन करती है। चिकित्सकों का कहना है कि अग्नाशय कैंसर के लक्षण अकसर शुरुआती चरण में नहीं दिखाई देते हैं। कैंसर बढ़ता है तो इसके विभिन्न लक्षण दिखाई देते हैं। डॉ. विपिन कुमार शर्मा ने बताया कि ऐसे मरीज आईजीएमसी के सर्जरी विभाग में उनके पास आकर उपचार करवा सकते हैं।