पानी के कथित गड़बड़झाले मामले में निलंबित इंजीनियर समेत जल शक्ति विभाग के 13 कर्मचारी भी जांच के दायरे में आ गए हैं। वीरवार को विजिलेंस ब्यूरो की टीम ने इन कर्मचारियों से पूछताछ की। इसके साथ ही ठियोग बाईपास में निलंबित इंजीनियर और टैंकरों के मालिक व चालकों के भी बयान दर्ज किए गए। इन चालकों को टैंकर और पिकअप के साथ मौके पर बुलाया गया। 9 टैंकरों और 5 पिकअप के नंबर, रजिस्ट्रेशन और लोडिंग क्षमता की जांच की गई। बुधवार को करीब 40 लोगों के बयान दर्ज हुए हैं। इसके बाद विजिलेंस की टीम ने छैला के नजदीक क्यार खड्ड और लेलू पुल स्थित गिरि नदी का भी दौरा किया। शुक्रवार को जल शक्ति विभाग के 13 कर्मचारियों और ठेकेदारों को विजिलेंस कार्यालय बुलाया गया है।
विजिलेंस ब्यूरो के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक नरवीर सिंह राठौर की अगुवाई में टीम ठियोग पहुंची। विजिलेंस की टीम ने लेलु पुल स्थित पंप हाउस का भी दौरा किया। इस दौरान उन्होंने विभागीय कर्मचारियों के बयान दर्ज किए। इसके अलावा टीम ने कर्मचारियों से कई अन्य दस्तावेज भी मांगे। टीम सैंज बाजार और उसके आसपास के होटल में लगे सीसीटीवी की फुटेज को भी खंगाल रही है। उल्लेखनीय है कि ठियोग उपमंडल में पिछले वर्ष फरवरी से जून के दौरान सूखे के चलते पानी की आपूर्ति टैंकरों से करने का काम ठेके पर दिया गया था। आरोप है कि कई जगह पानी की आपूर्ति ही नहीं हुई और भुगतान कर दिया। आरोप यह भी है कि पेयजल आपूर्ति करने वाले टैंकरों के जो नंबर दिए गए, वह मोटरसाइकिल और कारों के हैं।
साक्ष्य जुटा रही विजिलेंस टीम
घोटाले की तह तक जाने के लिए विजिलेंस ब्यूरो ने मामले से जुड़ा पूरा रिकॉर्ड कब्जे में ले लिया है। हर पहलू की गंभीरता से पड़ताल की जा रही है। उल्लेखनीय है कि गड़बड़झाला सामने आने के बाद अभी तक जल शक्ति विभाग के 10 अफसरों को निलंबित कर दिया गया है। इनमें 2 अधिशासी, 3 सहायक, 4 कनिष्ठ और एक सेवानिवृत्त कनिष्ठ अभियंता शामिल हैं। इनमें से एक की मृत्यु हो चुकी है।