ईडी जांच में खुलासा, नियमों के विपरीत हुई मानव भारती विश्वविद्यालय की स्थापना

ED investigation reveals that Manav Bharti University was established against the rules

बहुचर्चित मानव भारती विश्वविद्यालय (एमबीयू) के फर्जी डिग्री मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए है। विवि की स्थापना हिमाचल प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम (विनियामक आयोग) के मानकों, नियमों के विपरीत हुई थी। ईडी की ओर से अदालत को सौंपी रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में किसी भी विवि की स्थापना के लिए न्यूनतम 50 बीघा भूमि की आवश्यकता होती है। एमबीयू के पास केवल 30 बीघा भूमि थी। इस पर राज कुमार राणा ने धोखाधड़ी से सिरमौर के एक गांव में अतिरिक्त भूमि को एमबीयू सोलन के नाम पर दिखाकर विवि की स्थापना कर दी। ईडी के अनुसार इस मामले के मुख्य आरोपी राजकुमार राणा और उसकी पत्नी अशोनी कंवर ने मनी लॉन्ड्रिंग के माध्यम से करोड़ों की अवैध कमाई की है।

हिमाचल प्रदेश में शैक्षणिक संस्थानों से जुड़ा यह पहला मनी लॉन्ड्रिंग का मामला है। साल 2020 में एमबीयू के फर्जी डिग्री मामले में पुलिस में तीन एफआईआर दर्ज हुई हैं। इसी आधार पर ईडी ने धन-शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) 2002 की धारा 44 और 45 में तत्काल मामले की जांच शुरू की। जांच में आरोपी राज कुमार राणा ने अशोनी कंवर (आवेदक) के नाम पर गांव लाडो, सुल्तानपुर, सोलन में 35 बीघा 4 बिस्वा जमीन खरीदी और वर्ष 2006 में मानव भारती चैरिटेबल ट्रस्ट (एमबीसीटी) पंजीकृत किया। इसमें उसने स्वयं अध्यक्ष के रूप में काम किया। जबकि पत्नी अशोनी और ससुर धर्मवीर सिंह ट्रस्टी थे।

विदेश में रह रही राणा की पत्नी की मुश्किल बढ़ी, जमानत अर्जी खारिज
एमबीयू के फर्जी डिग्री मामले के मुख्य आरोपी राज कुमार राणा की पत्नी अशोनी कंवर की मुश्किलें बढ़ गई हैं। शिमला की विशेष अदालत ने मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े धन-शोधन मामले में हरियाणा निवासी राज कुमार राणा (पैरोकार) के माध्यम से दायर उस आवेदन को खारिज कर दिया, जिसमें अशोनी ने गिरफ्तारी पूर्व अग्रिम जमानत देने की गुहार लगाई थी। आरोपी अशोनी विदेश में रह रही है। विशेष न्यायाधीश दविंदर कुमार की अदालत ने याचिका खारिज करते हुए टिप्पणी की कि अशोनी के खिलाफ आरोप गंभीर प्रकृति के है और साक्ष्य की जांच के लिए उनकी हिरासत में पूछताछ आवश्यक है। उसे अदालत में पेश होना होगा। उल्लेखनीय है कि 22 जून 2023 में अशोनी को अदालत में पेश होने के लिए लुकआउट सर्कुलर और एनबीडब्लयू समन जारी किए गए, किन वह अदालत में पेश नहीं हुई। इसके बाद 4 नवंबर 2023 को न्यायालय ने उसे भगोड़ा घोषित किया जा चुका है।

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