शोघी के उद्यमी लोकिंद्र चंदेल का महाकुम्भ में 50.02 लाख का अंशदान, राज्यपाल को सौंपा चैक

shoghi entrepreneur contributed rs 50 02 lakh to maha kumbh

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुम्भ के दिव्य आयोजन में जहां दुनियाभर के करोड़ों श्रद्धालु संगम के पवित्र जल में आस्था की डुबकी लगाने का सौभाग्य प्राप्त कर रहे हैं, वहीं हिमाचल प्रदेश के ऐसे कई गुमनाम व्यक्ति भी…

हिमाचल डैस्क: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुम्भ के दिव्य आयोजन में जहां दुनियाभर के करोड़ों श्रद्धालु संगम के पवित्र जल में आस्था की डुबकी लगाने का सौभाग्य प्राप्त कर रहे हैं, वहीं हिमाचल प्रदेश के ऐसे कई गुमनाम व्यक्ति भी हैं जो किसी न किसी रूप में अपनी श्रेष्ठ भावनाएं समर्पित कर रहे हैं। उनमें से एक हैं शिमला के निकट शोघी वासी लोकिन्द्र मोहन चंदेल। उन्होंने कुम्भ में श्रद्धालुओं के भोजन की व्यवस्था के लिए 50 लाख 2 हजार रुपए प्रदान किए हैं। इस बाबत एक चैक उन्होंने राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल को सौंपा है और उनके माध्यम से इस व्यवस्था का आग्रह किया है। 

लोकिन्द्र मोहन चंदेल उद्यमी हैं। उन्होंने न केवल कुम्भ में श्रद्धालुओं की भोजन व्यवस्था के लिए धनराशि उपलब्ध करवाई है बल्कि हिमाचल प्रदेश के निवासी होने के नाते मुख्यमंत्री राहत कोष में भी 2 लाख 5 हजार का चैक राज्यपाल के माध्यम से दिया है। राजभवन में राज्यपाल से एक शिष्टाचार भेंट में उन्होंने प्रधानमंत्री राहत कोष के लिए 2 लाख 5 हजार रुपए का चैक और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष में 2 लोख 5 हजार का चैक राज्यपाल के माध्यम से प्रदान किया है। इस अवसर पर शिमला के सामाजिक कार्यकर्ता दीपक सूद और अखिल भारतीय शारश्वत परिषद के उपाध्यक्ष गौरव शर्मा भी उनके साथ उपस्थित थे। राज्यपाल के सचिव सीपी वर्मा भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

राज्यपाल ने लोकिंद्र चंदेल की श्रद्धा और भावनाओं का सम्मान करते हुए अंशदान के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि यह महाकुम्भ विश्व का विशालतम आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक समागम है, जो करीब 144 वर्षों के बाद आया है। यह पावन पर्व हमारे प्राचीन भारतीय संस्कारों और अध्यात्मिक धरोहर का प्रतीक है। महाकुम्भ केवल एक धार्मिक आयोजन ही नहीं, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, सद्भावना और मानवता का विराट उत्सव है, जो पूरे विश्व को भारत की समृद्ध परंपरा से जोड़ता है। उन्होंने कहा कि इस महाकुम्भ में हर सनातनी अपनी इच्छा से किसी न किसी रूप में ईश्वरीय कार्य करने के लिए अपने आप को समर्पित कर रहा है। 

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