
38 करोड़ की लोन धोखाधड़ी मामले की परतें खुलने लगी हैं। विजिलेंस ब्यूरो की प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि आरोपी युद्ध चंद बैंस ने धर्मशाला के एक वेल्यूवेटर कम वास्तुकार का लैटर पैड इस्तेमाल कर स्वयं ही फर्जी यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट बना दिया। पांच करोड़ रुपये की अगली किस्त लेने के लिए इसे कांगड़ा केंद्रीय सहकारी बैंक लिमिटेड (केसीसीबी) में दिया गया। हैरानी की बात यह है कि पहली किस्त के बाद मौके पर प्रोजेक्ट का कितना काम हुआ है, बैंक अधिकारियों ने इसका जायजा नहीं लिया। विजिलेंस ब्यूरो ने मामले की जांच के लिए विभिन्न बैंक के विशेषज्ञ बुलाए हैं। ये विशेषज्ञ एजीएम, मैनेजर, कैशियर स्तर के हैं। ये केसीसीबी की ओर से बैंस को दिए गए लोन संबंधित दस्तावेजों को खंगाल रहे हैं।
विजिलेंस ब्यूरो की दो टीमें ऊना और धर्मशाला गई हैं। इन्हें केसीसीबी की ओर से बैंस को दिए गए लोन से संबंधित रिकॉर्ड लाने को भेजा गया है। हालांकि, इससे पहले भी धर्मशाला से रिकॉर्ड लाया जा चुका है। बैंस पर आरोप है कि मंडी और मनाली में होटल बनाने के मकसद से लोन लिया था। मंडी में कुछ काम हुआ है, जबकि मनाली में एक भी ईंट नहीं लगी है। ऐसे में बैंक अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठ रहे हैं कि कैसे लोन दिया गया। विजिलेंस ब्यूरो ने इस मामले में बैंक अधिकारियों से पूछताछ की है। यह भी पता चला है कि विजिलेंस की ओर से दर्ज मामले की जानकारी नाबार्ड, आयकर विभाग और आरबीआई को दी गई है।
आरोपी का जमीन का रिकॉर्ड और बैंक खाते खंगालने शुरू कर दिए हैं। आरोपी 31 जनवरी तक अंतरिम जमानत पर है। उल्लेखनीय है कि कांगड़ा केंद्रीय सहकारी बैंक लिमिटेड (केसीसीबी) के अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ मिलकर 38 करोड़ रुपये का फर्जी तरीके से लोन लेने और धोखाधड़ी करने के आरोप में विजिलेंस ब्यूरो ने एफआईआर दर्ज की है। मैसर्स हिमालय स्नो विलेज और होटल लेक पैलेस के मालिक युद्ध चंद बैंस पर आरोप है कि उसने बैंक स्टाफ से मिलीभगत कर फर्जी तरीके से लोन ले लिया। वहीं, बैंक अधिकारियों पर आरोप हैं कि उन्होंने अपनी स्वयं की ऋण नीतियों के साथ-साथ भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और नाबार्ड के दिशा-निर्देशों की भी अवहेलना की।